Gujarat Elections: चुनाव कोई भी हो पार्टियों को बागियों से जूझना पड़ता है। चुनाव की तैयारी में जुटे नेता टिकट कटने पर अपनी ही पार्टी को हराने में जुट जाते हैं। गुजरात चुनाव (Gujarat Elections) में बीजेपी (BJP) इन दिनों कुछ ऐसी ही समस्याओं से दो-चार हो रही है। यहां बीजेपी (BJP) के सामने विपक्ष से ज्यादा पार्टी के बागी चुनौती बने हुए हैं। हालांकि बीजेपी ऐसे बागियों को संभालने के लिए कई रणनीति बनाई हैं, जिसमें पार्टी के भरोसेमंद नेताओं को बागियों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई है।
क्षेत्र में ऐसे नेताओं के वर्चस्व के चलते मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। बता दें कि गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat assembly elections) में इस बार भाजपा के 19 बागी चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें से कई पूर्व विधायक भी शामिल हैं। चूंकि बीजेपी सत्ता में रही और जनता का रुझान भी बीजेपी के प्रति है, ऐसे में पार्टी के सामने बागियों की लंबी फौज है। सारे नेता बीजेपी से चुनाव लड़ना चाहते हैं, जो संभव नहीं है। इसी के चलते बीजेपी हिमाचल विधानसभा चुनाव में भी काफी परेशान रही। यहां पार्टी ने करीब डेढ़ दर्जन बागियों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया था।
गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat assembly elections) में बागी हुए 19 नेताओं में से अधिकतर भाजपा के घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें तीन कांग्रेस और एक आम आदमी पार्टी के टिकट पर भी मैदान में हैं। भाजपा के बागी जो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, उनमें शेहरा विधानसभा सीट से खाटूभाई पागी, धनगाधरा सीट से छतरसिंह गुंजारिया और सावली विधानसभा सीट से कुलदीप सिंह राजुलजी हैं। इनमें राजुलजी बड़ौदा डेयरी के निदेशक और दुग्ध यूनियन नेता के साथ तीन बार सावली से विधायक रह चुके हैं।
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इसी क्रम में भाजपा से आम आदमी पार्टी जाने वाले नेता केतन पटेल एक आदिवासी समुदाय के नेता हैं। वे वलसाड जिले की पारदी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। वहीं वडोदरा की पैडरा विधानसभा सीट पर भाजपा के बागी दिनेश पटेल उर्फ दीनू मामा, निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वे दो बार के विधायक हैं और इस विधानसभा सीट पर उनकी अच्छी पकड़ है। बता दें कि पैडरा सीट भाजपा का गढ़ माना जाता है। बीजेपी 1985 से लेकर 2017 तक लगातार यहां से चुनाव जीतती आई थी। लेकिन, वर्ष 2017 के चुनाव में कांग्रेस के जसपाल सिंह ठाकोर भाजपा से यह सीट छीनने में सफल हुए थे।
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