नई दिल्ली। आदिमानव की चर्चा के बिना इंसानों की उत्पत्ति की बात करना निरर्थक ही माना जाएगा। हमारे सामने कई ऐसे जीव है जिनका अस्तित्व इस धरती से समाप्त हो गया। इसके पीछे वैज्ञानिकों के अपने-अपने तर्क हैं। लेकिन परिवर्तन प्राकृति का नियम है इस बात को वैज्ञानिक भी मानते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आदिमानव की प्रजाति निअंडरथल मानव (Neanderthal) पृथ्वी से कैसे विलुप्त हुए? वैज्ञानिकों ने अब इस सवाल का जवाब ढूंढ लिया है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने अपनी स्टडी में यह दावा किया गया है कि धरती का चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) खत्म होने और ध्रुवों (Poles) के पलटने की वजह से ऐसा हुआ होगा।
ज्ञात हो यह घटना करीब 42 हजार साल पहले हुई थी और लगभग एक हजार साल तक इसी तरह के हालात बने रहे थे। जबकि वैज्ञानिकों ने अंदाजा है कि इस तरह की घटना 2 से 3 लाख साल के अंतराल पर होती है। वैज्ञानिकों ने अंदेशा व्यक्त किया है कि जिस तरह धरती का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर होता जा रहा है, उससे लग रहा है कि ध्रुवों के पलटने का समय करीब आ रहा हो।
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वैज्ञानिकों के अनुसार धरती के ध्रुव हर 2 से 3 लाख साल में बदलते रहते हैं। वहीं कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि धरती का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा है जिसकी वजह से ध्रुवों के पलटने का समय नजदीक आता नजर आ रहा है। वहीं कई वैज्ञानिक ऐसे भी हैं जो इस आशंका को खारिज भी कर रहे हैं। इस संदर्भ में दक्षिण ऑस्ट्रेलियन म्यूजियम के ऐलन कूपर का कहना है कि यह जरूरी नहीं है कि ध्रुव फिर से पलटेंगे, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो यह काफी विनाशकारी होगा।
बताते चलें कि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इंसान और दूसरे अन्य जीवों के लिए जीवन मुमकिन बनाता है। यह धरती पर सूरज से आने वाली हानिकारक किरणों जैसे सोलर विंड, कॉस्मिक रेज और हानिकारक रेडिएशन से ओजोन की परत को बचाता है। चुंबकीय क्षेत्र के कम होने से पृथ्वी का बड़ा नुकसान हो सकता है।
वैज्ञानिकों के इस स्टडी में कहा गया है कि ध्रुवों में हुए बदलाव के नतीजों के चलते जलवायु के हालात भयानक हो गए होंगे। इसी परिवर्तन के चलते स्तनपायी जीव विलुप्त हो गए होंगे। प्रोफेसर क्रिस टर्नी ने बताया कि चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन के कई उदाहरण दिख रहे हैं। उन्होंने कहा, हम इस काल में उत्तरी अमेरिका के ऊपर बर्फ की परत में तेज बढ़ोतरी देख रहे हैं, पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में ट्रॉपिकल रेन बेल्ट्स तेजी से बदल रही है और दक्षिणी महासागर में हवाओं की बेल्ट और ऑस्ट्रेलिया का सूखना भी दिख रहा है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी पर इस भयानक बदलाव के चलते खराब मौसम से बचने के लिए निअंडरथल मानव गुफाओं में छुप कर रहने लगे थे। इस विपरीत स्थिति के कारण हमारे पूर्वजों में आपस में प्रतिद्वंदिता बनने लगी होगी और अंत में वे विलुप्त हो गए। वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी के लिए रेडियोकार्बन अनैलेसिस की मदद ली है। दुनियाभर से मिले मटीरियल पर स्टडी करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि जब पृथ्वी पर कार्बन-14 की मात्रा बढ़ी हुई थी, उसी समय पर्यावरण में बड़े बदलाव हो रहे थे।
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