लखनऊ: देश के कई राज्यों में कोरोनावायरस के नए वैरिएंट ‘डेटा प्लस’ से संक्रमित मरीज मिलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को अलर्ड मोड में रहने का निर्देश दिया है। इसकेसाथ ही प्रदेश में प्रदेश में कोविड के डेल्टा प्लस वैरिएंट की गहन पड़ताल के लिए अधिकाधिक सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग की जाएगी। सीएम योगी ने प्रदेश में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा के लिए केजीएमयू और बीएचयू में सभी जरूरी व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने के निर्देश आला अधिकारियों को दिए हैं। बताते चलें कि वर्ष 2021 की शुरुआत में ही सरकार ने कोरोना संक्रमण के नए स्ट्रेन के मद्देनजर लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) में जीन सीक्वेंसिंग की जांच को शुरू करने का निर्णय लिया था। इसके तहत कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन की पहचान समय से करने के लिए जीन सीक्वेंसिंग की जांच केजीएमयू में जनवरी में ही शुरू कर दी गई थी।
जानकारी के मुताबिक बाहर से प्रदेश में आने वाले सभी यात्रियों के आरटीपीसीआर टेस्ट के सैंपल से जीन सिक्वेंसिंग कराई जाएगी। प्रदेश के जिलों से भी कोरोनावायरस के नए वैरिएंट ‘डेल्टा प्लस’ के सैंपल लिए जाएंगे। सीएम योगी ने रिपोर्ट के आधार पर डेल्टा प्लस प्रभावी क्षेत्रों की मैपिंग कराए जाने के भी आदेश दिए हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश में विशेष सावधानी बरतते हुए समय रहते ही सरकार ने ठोस रणनीति बना ली है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार का वैरिएंट पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा खतरनाक है। इस संदर्भ में राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ परामर्श समिति ने बचाव के लिए विस्तृत अनुशंसा रिपोर्ट तैयार की है।
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राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ परामर्श समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरे आयु वर्ग के लोगों की अपेक्षा इस नए वैरिएंट का प्रभाव बच्चों पर कहीं ज्यादा पड़ सकता है। मुख्यमंत्री ने विशेषज्ञों के परामर्श के आधार पर बिना किसी देरी के सभी जरूरी कदम उठाए जाने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। राज्य स्तरीय स्वास्थ्य विशेषज्ञ परामर्श समिति के सदस्यों व अन्य वरिष्ठ चिकित्सकों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का कार्य भी किया जाएगा। राजधानी लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के साथ ही बनारस के बीएचयू में जीन सीक्वेंसिंग की जांच शुरू की गई है। ज्ञात हो कि यूपी में अभी तक जीन सीक्वेंसिंग जांच के लिए सैंपल को पुणे भेजा जाता था। लेकिन अब प्रदेश में जांच शुरू होने से दूसरे संस्थानों में सैंपल नहीं भेजने पड़ेंगे।
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