भास्कर दूबे
लखनऊ: भारत में लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव अभी तक यादव समाज के सिरमौर रहे हैं। बिहार में लालू और उत्तर प्रदेश में मुलायम कुनबे का यहां की राजनीति पर दबदबा रहा है। एक तरफ लालू प्रसाद यादव के दोनों बेटे शिक्षा के नाम पर कुछ खास हासिल नहीं कर सके, तो दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव ने पढ़ाई भले ही ऑस्ट्रेलिया में की, लेकिन भारतीय परिवार और संस्कार उनसे बहुत पीछे छूट गए। अखिलेश के कार्य व्यवहार ने पार्टी के वरिष्ठों का मोहभंग तो किया ही, परिवार के सबसे वरिष्ठ और सपा के आधार रहे चाचा शिवपाल को भी सम्मान नहीं दे सके।
लालू और मुलायम जैसे यदुकुल सिरमौर नेताओं के इस भविष्य ने चौधरी सुखराम सिंह यादव के पुत्र चौधरी मोहित यादव को सतर्क बना दिया। सुखराम सिंह यादव के पुत्र मोहित यादव की शिक्षा लंदन और अमेरिका में हुई है। लालू और मुलायम के परिवारों से अलग छवि लेकर मोहित यादव ने शिक्षा और सेवा को अपना लक्ष्य बनाया और इसी बल पर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद बन गए।
संघ और भाजपा की रणनीति अब रंग ला रही है। अब कानपुर में मेहरबान सिंह का पुरवा मोदी और मोहित की घनिष्ठता का प्रमाण बनने जा रहा है। कानपुर में अभी से देश भर के यादव लोगों का जमावड़ा लग चुका है। पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक के एक से एक शिक्षाविद, चिकित्सक, वैज्ञानिक, समाजसेवी, उद्यमी, अधिवक्ता, न्यायाधीश और यदुकुल के ऊर्जावान युवा जुट चुके हैं। यह छवि मुलायम और लालू यादव की यादवी संस्कृति से इतर दिख रही है। यहां संस्कार, अनुशासन और राष्ट्रवाद की गंध है। यहां चर्चा के केंद्र में नरेंद्र मोदी के भावी भारत के सपने हैं। भारत को विश्वगुरु बनाने का संकल्प है और मोदी के उद्बोधन की प्रतीक्षा।
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कानपुर महानगर की फिजा भगवा रंग से नहाई है। देश भर से आचुके और आ रहे यदुकुल के ऐसे लोगों की चहल पहल है, जिसको कभी भी राजद या सपा में नहीं देखा गया। यह सब भी उसी यादव समाज के लिए हो रहा, जिसको वोटबैंक बना कर मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव ने लंबे समय तक सत्ता का सुख भोगा। लेकिन यहां परिवेश अलग है। इस आयोजन के सूत्रधार मोहित यादव की विनम्रता और आयोजन के स्वरूप ने यादव समाज को नए रूप में परिभाषित किया है।
कभी चौधरी चरण सिंह और मुलायम सिंह यादव के लिए आधार स्तंभ रहे चौधरी हरमोहन सिंह की दसवीं पुण्यतिथि के समारोह को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार साढ़े चार बजे से सम्बोधित करेंगे। प्रधानमंत्री का यह संबोधन निश्चित रूप से देश में खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में यादव राजनीति की दिशा और दशा तय करेगा।
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