प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) समय समय पर चौंकाते हैं। लंबी योजनाओं पर गहन परीक्षण के बाद ही वह उन्हें सार्वजनिक करते हैं। मुख्यमंत्रियों से लेकर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के प्रत्याशियों के नाम इसी ढंग से वह उजागर करते हैं। उनकी यह तरकीब ऐसी है, जिसकी भनक तक किसी को नहीं लग पाती। अब इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने 25 जुलाई को कानपुर में चौधरी हरमोहन सिंह (Chaudhary Harmohan Singh) की 10वीं पुण्यतिथि समारोह को संबोधित करने की घोषणा कर सभी को चौंकाया है। अभी 16 तारीख को ही मोदी कानपुर होते हुए जालौन गए थे और बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का उद्घाटन किया था। अब 25 को उन्होंने कानपुर में चौधरी हरमोहन सिंह यादव (Chaudhary Harmohan Singh) की पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि बन का संबोधित करने की स्वीकृति दी है। यह चौंकाने वाला ही है।
रजानीतिक विश्लेषकों की मानें तो इसमें चौंकाने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि अभी लखनऊ में रजानीतिक पंडित यह कयास लगाए रहे थे कि यादव वोटों को जोड़ने के लिए भाजपा शिवपाल सिंह यादव को अपने से जोड़ेगी और अखिलेश से शिवपाल की दूरी का फायदा उठाकर आगे बढ़ेगी। मुलायम परिवार की बहू अपर्णा बिष्ट पहले ही भाजपा में आ चुकी हैं। शिवपाल के जुड़ने से भाजपा को ज्यादा लाभ होगा, ऐसा विश्लेषक लोग मान रहे थे। अभी यह सब चर्चा में था, लेकिन प्रधानमंत्री ने चौधरी हरमोहन सिंह की पुण्यतिथि के बहाने सपा और खासकर अखिलेश यादव के वोटबैंक पर बहुत ठीक से प्रहार किया है।
समाजवादी राजनीति में दखल रखने वाले लोग इस समय पूरे प्रदेश में इस आयोजन के पोस्टर और होर्डिंग देख कर हैरान हैं। खासकर एटा, इटावा, मैनपुरी, कन्नौज जैसे समाजवादी गढ़ में चौधरी हरमोहन सिंह के पोते चौधरी मोहित यादव और नरेंद्र मोदी के चेहरे जिस तरह खिलखिला रहे हैं, उसके निहितार्थ अब सभी को समझ आने लगा है। ये हिर्डिंग और पोस्टर केवल किसी एक क्षेत्र विशेष भर में नहीं है। पूर्वांचल के गोरखपुर, बनारस, प्रयागराज से लेकर कानपुर और मेरठ तक मे दिख रहे हैं। संदेश साफ है। नरेंद्र मोदी ने चौधरी मोहित यादव को अब अखिलेश के विकल्प के रूप में यादव युवाओं के सामने प्रस्तुत कर दिया है।
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जानकर लोग बताते हैं कि यह सब रातोरात नहीं हुआ है। संघ और भाजपा के कई जिम्मेदार लोगों ने बहुत दिनों की कवायद के बाद इस परिवार को चुना है। चौधरी हरमोहन सिंह के बेटे चौधरी सुखराम सिंह यादव की पहचान एलीट वर्ग के यादवों में मुलायम सिंह के दाहिने हाथ के रूप में रही है। सुखराम सिंह अभी अभी राज्यसभा से अवकाश लिए हैं। चौधरी मोहित सिंह यादव इन्हीं सुखराम सिंह यादव के सुपुत्र हैं।
ऐसा बताया जा रहा है कि इस परिवार की एक लंबी मुलाकात लगभग दो माह पहले गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हो चुकी है। ऐसी सूचना है कि इसी मुलाकात में प्रधानमंत्री और मोहित यादव के बीच कुछ ऐसा संवाद हुआ, जिससे प्रधानमंत्री बहुत प्रभावित हुए थे और उन्होंने उसी समय मोहित से वादा किया था कि वह उनके घर आएंगे। संयोग से 25 जुलाई को मोहित के दादा चौधरी हरमोहन सिंह यादव की पुण्यतिथि पड़ती है। प्रधानमंत्री ने इस दिन को चुन कर इस परिवार के इस समारोह में मुख्य अतिथि बनना स्वीकार कर लिया।
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वैसे तो सामान्य तौर पर यह इस परिवार का एक निजी पारंपरिक आयोजन है, लेकिन जिस प्रकार से प्रधानमंत्री ने इसमें रुचि दिखाई है, उसके पीछे मिशन 2024 की रणनीति साफ साफ दिख रही। चौधरी मोहित यादव का व्यक्तित्व, उनकी शिक्षा, दीक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि निश्चित रूप से भाजपा के अनुकूल है। सपा के युवा अखिलेश के सामने युवा और संस्कारवान मोहित यादव भाजपा में यादव युवा वोटरों के लिए एक आकर्षण तो बन ही सकते हैं। वह भी तब, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वह पहले से ही पसंद बन चुके हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)