अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर विशेष: जच्चा-बच्चा का हित सर्वोपरि

चित्रकूट: मरीज की चिकित्सीय सेवा उनकी प्राथमिकता है। पारिवारिक जिम्मेदारियों को कभी स्वास्थ्य सेवा में हावी नहीं होने देते। अटेंडर की मनमानियों को हँसते हुए नजर अंदाज करते हैं, ताकि…

लॉकडाउन के दौरान असुरक्षित संबंध बनाने से 85 हजार से ज्यादा लोगों को हुआ HIV

नई दिल्ली: लापरवाही के मामले में भारतीयों की गिनती सबसे ऊपर की जाती है। ऐसा अकारण नहीं बल्कि हमारी हरकतों की वजह से की जाती है। कोरोना काल के दौरान…

विश्व अस्थमा दिवस (3 मई) पर विशेष: इन्हेलर के इस्तेमाल से डरने की जरूरत नहीं

चित्रकूट: अस्थमा (दमा) की बीमारी होने पर घबराने की जरूरत नहीं है। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, समय रहते बीमारी की पहचान होने पर इसे नियंत्रित…

विश्व मलेरिया दिवस पर विशेष: तुरंत हो जांच, न आए मलेरिया से जीवन पर आंच

चित्रकूट: मलेरिया (Malaria) को लेकर स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की सक्रियता और टीम भावना से काम करने से जनपद में लगातार मलेरिया के मामलों में कमी आ रही है। इधर…

हिंदी को जन-जन की भाषा बनाएं: प्रो.नागेश्वर राव

नई दिल्ली: हमें हिंदी को जन-जन की भाषा बनाने में सक्रिय योगदान देना होगा। इसके लिए जरूरी है कि साहित्यिक हिंदी की बजाए, ऐसी हिंदी का उपयोग किया जाए, जिसमें…

डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष को मिला 14वां पं. बृजलाल द्विवेदी साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान

नई दिल्ली: प्रख्यात कवि, आलोचक एवं ‘साहित्य परिक्रमा’ के संपादक डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष को मीडिया विमर्श परिवार द्वारा नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित सम्मान समारोह में 14वें पं.…

पुस्तक-चर्चा: ‘एक भारतप्रेमी छात्र आंदोलन का दस्तावेज’

किसी भी राष्ट्र के निर्माण में उसकी छात्र- युवा शक्ति का बहुत बड़ा योगदान होता है। बदलाव और परिर्वतन की कथाएं युवा शक्ति ही संभव करती है। आजादी के आंदोलन…

जब मैं बूढ़ा हो जाऊंगा!

जब मैं बूढ़ा हो जाऊंगा, एकदम जर्जर बूढ़ा, तब तू क्या थोड़ा मेरे पास रहेगा? मुझ पर थोड़ा धीरज तो रखेगा न? मान ले, तेरे मंहगे कांच का बर्तन मेरे…

इसे कहते हैं कसक और चाहत

ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक कोई जाना पहचाना सा चेहरा जर्नल बोगी में आ गया। मैं अकेली सफर पर थी। सब अजनबी चेहरे थे। स्लीपर का टिकट नहीं…

कर्मों का फल तो झेलना पडे़गा

भीष्म पितामह रणभूमि में शरशैया पर पड़े थे। हल्का सा भी हिलते तो शरीर में घुसे बाण भारी वेदना के साथ रक्त की पिचकारी सी छोड़ देते। ऐसी दशा में…

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