Basti: सरकार की योजनाओं और नीतियों को जनता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी जिन कंधों पर है वे कंधे भ्रष्टाचारियों का सहारा बन चुके हैं। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के भ्रष्टाचार पर स्थानीय प्रशासन के साथ शासन स्तर तक के अधिकारी जुटे हुए हैं। जिलों से लेकर शासन स्तर तक भ्रष्ट अधिकारियों का काकश इतना मजबूत हैं कि शिकायत के बाद भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई तो दूर जांच तक हो पाना मुश्किल हो गया है। उत्तर प्रदेश की नाकारा नौकरशाही का ताजा उदाहरण आरटीआई कार्यकर्ता सुदिष्ट नारायण त्रिपाठी द्वारा मांगी गई सूचना का जवाब बन गया है। जिसे देखकर समझा जा सकता है कि अधिकारियों के भरोसे चल रही योगी सरकार में नौकरशाही कितना बेलगाम हो चुकी है।
बस्ती अपर मुख्य सचिव सूचना उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ को भेजे गए शिकायती पत्र में प्रभाकर तिवारी सहायक निदेशक सूचना बस्ती की शिकायत 1 वर्ष 3 माह पूर्व किया गया था। जिस पर जुलाई 2023 में सूचना के अधिकार के अंतर्गत सूचना मांगी गई थी कि पत्र पर क्या कार्रवाई हुई। जांच रिपोर्ट जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई और शिकायती पत्र प्राप्ति तिथि 4 सुनवाई तिथि के पश्चात राज्य सूचना आयोग मैं यह सूचना दी गई कि उक्त पत्र अप्रैल 24 में निदेशालय सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश लखनऊ को प्राप्त हुआ था। परंतु शिकायत तो प्रमुख सचिव सूचना को की गई थी इस प्रकार सूचना भी गलत प्राप्त हुई और उक्त पत्र पर कार्रवाई आदि की सूचना के बारे में यह जानकारी दिया गया कि युक्त पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।
इसे भी पढ़ें: एक स्क्रिप्ट से चार देश हुए तबाह
इस प्रकार प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के जीरो टॉलरेंस की नीति पर नौकरशाह शिकायती पत्रों की कार्रवाई पर यह सूचना देकर मुक्ति पा रहे हैं कि कोई कार्यवाही नहीं की गई। यह विडंबना नहीं तो और क्या है कि 1 वर्ष और 3 माह के पश्चात भी शिकायती पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
इसे भी पढ़ें: गाँव हमारा गाँव के हम हैं