Basti News: वेब मीडिया एसोसिएशन (रजि.) के तत्वावधान में प्रेस क्लब सभागार में आयोजित पत्रकारों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें 60 पत्रकारों ने हिस्सा लिया और समाचार लेखन, संपादन व डिजिटल माध्यमों में बेहतर परिणाम पाने के तरीकों की जानकारी प्राप्त की। उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुये वरिष्ठ पत्रकार एवं शिक्षक नेता संजय द्विवेदी ने कहा पत्रकारों को विषय वस्तु की जानकारी होनी बहुत आवश्यक है।
पत्रकारों का काम आलोचना और समीक्षा का है, इसलिये हमें अपने व्यक्तित्व और शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि खबरें दंगा करा सकती है और समाज में बिगड़ते हुए माहौल को सकारात्मकता दे सकती हैं, प्राथमिकतायें हमे खुद तय करनी होंगी। पत्रकार उत्पीड़न की घटनाओं का जिक्र करते हुए संजय द्विवेदी ने कहा, पत्रकार जब पक्षकार बन जाता है तो ऐसी घटनायें घटती हैं। इसलिये पत्रकारों को हमेशा न्याय का पक्ष लेना चाहिये। इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार जयंत कुमार मिश्रा, प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद कुमार उपाध्याय, वेब मीडिया एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष सर्वेश श्रीवास्तव, राजकुमार पाण्डेय, राजन चौधरी, डब्लूएमए के संयोजक अशोक श्रीवास्तव ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की।
वरिष्ठ पत्रकार जयंत मिश्रा एवं विनोद कुमार उपाध्याय ने कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप चन्द्र पाण्डेय ने समाचार लेखन पर अपने व्याख्यान में कहा कि समाचारों के लेखन में तथ्य, कथ्य, प़क्ष, समाज पर इसके प्रभाव को गंभीरता से समझना होगा। संपादकीय में इन सारी चीजों के साथ-साथ लेखक के विचार और समाधान भी होना चाहिये। समाचारों का मुखड़ा बहुत खास होता है। हर वाक्य पूर्ण होना चाहिये और पहले पैराग्राफ में ही पूरी जानकारी पाठक को मिल जानी चाहिये। साहित्य आखिरी में पूर्ण होता है जबकि समाचार आरंभ में ही पूर्ण हो जाते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि कागज पर छपने वाले अखबारों का भविष्य बहुत अच्छा नहीं है। डिजिटल मीडिया अपना स्वरूप रोजाना बदल रही है। वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र पाण्डेय ने कहा, खबरों के बाद की खबरें पत्रकार नही लिख रहे हैं। समीक्षा तो बिलकुल नहीं देखी जा रही है। पूरी पत्रकारिता विज्ञप्तियों और सूचनाओं तक सिमटकर रह गयी है। यह पत्रकारिता का क्षरण है और यही कारण है कि हम जन विश्वास खोते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अखबार दस्तावेज हैं, कई बार साक्ष्य बन जाते हैं। हालांकि डिजिटल पत्रकारिता का महत्व सभी को समझ में आ गया है। यही कारण है कि बड़े से बड़े माध्यम डिजिटल प्लेटफार्म पर आ चुके हैं।
अशोक श्रीवास्तव ने सीधी सपाट खबरों के लेखन, कामा, पूर्णविराम, इनवर्टेट कामा, पैसिव वायस तथा शब्दों की पुनरावृत्ति से बचने व मात्रा की त्रुटियों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा समाचारों में वाक्य छोटे होने चाहिये। समापन सत्र को सम्बोधित करते हुये वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्रनाथ तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता का क्षेत्र काफी संघर्षपूर्ण होता है, लेकिन हमारा एक ही लक्ष्य होना चाहिये। अहंकारी, लोकतंत्र विरोधी व जनविरोधी सत्ता का विरोध कर उस पर अंकुश लगाना। सत्ता से मेल रखने वाले पत्रकार असली नहीं होते हैं। उन्होंने कहा, द्वेष में पत्रकारिता न करें। समाज में शांति स्थापित करना पत्रकारिता का दूसरा नाम है। उन्होंने कहा, कार्यशाला में बताई गयी बातों को अपने व्यवहार में लायें और सत्य का साथ कभी न छोड़ें, परिस्थितियां चाहे जैसी हों।
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अरुण कुमार, अजीत श्रीवास्तव, अमन पाण्डेय, संजय यादव, बीपी लहरी, शमशुलहक, अनूप बरनवाल, अथर्व श्रीवास्तव, सर्वेश श्रीवास्तव, सीपी शर्मा, अब्दुल कलाम, अजय यादव, नीरज वर्मा, राशिद मलिक, सतेन्द्र द्विवेदी, रूबल कमलापुरी, विनोद जायसवाल, धीरेन्द्र सिंह, कृष्णकांत श्रीवास्तव, राजितराम यादव, जयशंकर, अनिल श्रीवास्तव, शुभम राव, दिलीप श्रीवास्तव, आशुतोष नरायन मिश्र, हरिओम प्रकाश लल्ला सहित तमाम पत्रकारों ने कार्यशाला में हिस्सा लिया। वेब मीडिया एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने अतिथियों का फूल मालाओं से स्वागत किया। सभी ने आयोजन को सफल बताते हुए इसकी सराहना की।
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