प्रकाश सिंह
रामपुर: कहते हैं सांप को कितना भी दूध पिला दिया जाए, लेकिन जब उसे मौका मिलेगा तो वह जहर जरूर उगलेगा। इसी तरह के कुछ लोग राजनीति में भी हैं, जो हैं तो इंसान पर सांप से भी ज्यादा जहरीले हैं। जिन्हें भारत माता को डायन कहने में न तो शर्म आई आ न ही कोई संकोच। अपनी इसी हरकतों के चलते महीनों सलाखों के पीछे रहने के बावजूद भी सपा नेता आजम खान की बदजुबानी पर कोई रोक नहीं लग पाई है। जेल से छूटने के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि आजम खान में कुछ बदलाव आया होगा। लेकिन रामपुर में चुनावी जनसभा के दौरान आजम खान पुराने अंदाज में जिस तरह बदजुबानी की मिसाल पेश की है, उससे यह साफ हो गया है कि उनका सपाई चरित्र नहीं बदल सकता। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने आजम खां ने एक बार से विवादित बोल बोले हैं। देश के बंटवारे पर सवाल उठाते हुए उन्होंने केंद्र सरकार से मुगल बादशाह औरंगजेब की सल्तनत वाले हिंदुस्तान की मांग कर डाली है। आजम खान ने यह विवादित बोल रामपुर में जारी उपचुनाव के दौरान आयोजित हुई एक जनसभा के दौरान बोले हैं।
विधायक श्री मोहम्मद आज़म खान का रामपुर और आजमगढ के उपचुनाव में भाजपा की जीत सपा की हार की संभावना को देखते हुए मानसिक संतुलन बिगड़ गया है,प्रचार की जगह इलाज करायें ज़हर न उगलें,मैंने रामपुर में कहा था रामराज आयेगा,
आज़म राज जाएगा,गुंडाराज जायेगा,यूपी में अब दंगा नहीं विकास होगा!— Keshav Prasad Maurya (मोदी का परिवार) (@kpmaurya1) June 21, 2022
आजम ने चुनावी जनसभा में कहा कि हमने नहीं चाहा था कि हिंदुस्तान बटे। हम जिम्मेदार नहीं थे, हिंदुस्तान के बंटवारे के। अगर हिंदुस्तान बटा ना होता, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान का कुछ हिस्सा और कुछ और हिस्सा जो औरंगजेब ने जीता था, उस समय हिंदुस्तान रंगून तक था। अखंड भारत का नारा देने वालों, वो हिंदुस्तान दो जो औरंगजेब का हिंदुस्तान था। गाली दो उसे जितनी चाहो दो। हमें उससे कोई एतराज नहीं हैं। पूरी मुगल सल्तनत को गाली दो क्योंकि मुगल सल्तनत न तो खलीफा की सल्तनत थी, न ही इस्लामिक हुकूमत थी। कोई हमदर्दी नही हमे उनसें। लेकिन औरंगजेब का हिंदुस्तान तो वापस करो।
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अगर वो हिंदुस्तान आज होता और वहां के मुसलमान हिंदुस्तान में हो तो क्या नकाब का सवाल उठ सकता था। क्या लव जिहाद के नाम पर लोगों के साथ नाइंसाफी हो सकती थी। क्या इबादत गाहो के साथ यह सुलूक हो सकता था। लोडीस्पीकर का बहाना लेकर बेवजह सितम के पहाड़ तोड़े जा सकते थे। आज जो घ्रणा है। नफरत है। इंसानों के बीच मजहबो की घृणा, जात की घृणा। वो घृणा नहीं होती क्योंकि दोनों भाइयों के हाथ मजबूत होते। न एक हाथ दूसरे से टकराता न दूसरा हाथ पहले से टकराता।
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