Sanjay Tiwari
संजय तिवारी

यह 16वीं सदी का इतिहास नहीं, इसी शनिवार की घटना है

यह 16वीं सदी के इतिहास का कोई पृष्ठ नहीं है। अभी इसी बीते शनिवार को सब कुछ हुआ है, लेकिन विश्व के किसी कोने से कोई विरोधी स्वर सुनने को नहीं मिला। कनाडा और लंदन से किसी पगड़ीधारी का कोई वीडियो नहीं जारी हुआ। क्यों भाई? अफगानिस्तान में सिर्फ 140 सिक्ख बचे हैं। विश्व के सबसे भव्य काबुल के गुरुद्वारे, जिससे महाराजा रणजीत सिंह का नाम जुड़ा है, में शनिवार 18 जून, 2022 को कुछ तालिबानी आतंकी मय असलाह घुसते हैं और 50 सिक्खों को बंधक बना लेते हैं। फिर शुर होता है, बर्बर पिटाई और हत्या का सिलसिला।

गुरुद्वारे में आग लगा दी जाती है। सिख गिड़गिड़ाते रहते हैं, हाथ जोड़ते हैं, रहम की भीख मांगते हैं। मग़र 2 सिखों की हत्या ऑन स्पॉट कर दी जाती है। शेष लोगों को वार्निंग दी जाती है कि एक पखवाड़े के भीतर सुन्नी-इस्लाम ग्रहण कर लें नहीं तो मौत के लिए तैयार रहें।

अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यह घटना इस प्रकार से बताई गई है

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक गुरुद्वारे पर शनिवार तड़के भीषण आतंकी हमला हुआ। आतंकवादी बाहर से गोलियां चलाते हुए गुरुद्वारे के भीतर दाखिल हुए और सिखों के घरों को भी निशाना बनाया। हमलावरों ने सुरक्षाकर्मी की हत्या कर दी और ग्रेनेड के साथ अंदर घुसे। हमले के सूचना पास की चौकियों पर मौजूद तालिबान सदस्यों को मिलते ही वे मौके पर पहुंचे। इस्लामिक स्टेट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। वहां मौजूद कुलजीत सिंह खालसा ने बताया, ‘मेरा घर गुरुद्वारे के ठीक सामने है। जैसे ही मैंने गोलीबारी की आवाज सुनी खिड़की से बाहर देखा, लोग कह रहे थे कि हमलावर भीतर हैं। अफरा-तफरी के बीच अचानक एक ब्लास्ट हुआ।’ बम एक तालिबान चेकपोस्ट के बगल में खड़ी एक कार के अंदर छिपा हुआ था। धमाके में यूनिट कमांडर की मौत हो गई और आसपास की दुकानें और घर क्षतिग्रस्त हो गए।

हमले में एक सिख सहित दो लोगों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए। यह हमला सुबह की प्रार्थना शुरू होने से करीब आधा घंटा पहले हुआ। खालसा ने कहा, ‘अगर हमला कुछ देर बाद होता तो अंदर और भी लोग मौजूद होते।’ एक वक्त पर अफगानिस्तान हजारों हिंदुओं और सिखों का घर हुआ करता था, लेकिन दशकों के संघर्ष के बाद अब यहां सिर्फ गिनती के हिंदू और सिख बचे हैं। हाल के वर्षों में बचे हुए सिखों को लगातार आईएस की लोकल ब्रांच निशाना बना रही है। स्थानीय समयानुसार सुबह करीब छह बजे कार्ते परवान इलाके में पहले विस्फोट की आवाज सुनी गई।

प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक, विस्फोट के कारण आसमान में धुएं का गुबार फैल गया। हमले के बाद से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है। सिख समुदाय के नेताओं का अनुमान है कि तालिबान शासित अफगानिस्तान में सिर्फ 140 सिख बचे हैं, जिनमें से ज्यादातर पूर्वी शहर जलालाबाद और राजधानी काबुल में हैं। अमाक के हवाले से इस्लामिक स्टेट ने इस हमले की जिम्मेजदारी ली है। आतंकवादी संगठन ने गुरुद्वारे पर हमला करने वाले सुसाइड बॉम्बर की पहचान अबू मुहम्मद के रूप में की है। बीबीसी से बात करते हुए हमले में घायल हुए एक शख्स के रिश्तेदार ने कहा कि अफगानिस्तान में सिर्फ 20 सिख परिवार बचे हैं। उन्होंने कहा कि बचे हुए परिवार भी जल्द से जल्द निकलना चाहते हैं।

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यहां भारत मे जहां हिन्दुजन सिक्खों को अपनी पलकों पर सज़ा के रखते हैं। वे हैं भी हमारे सहोदर लेकिन पंजाब से लेकर किसान आंदोलन के नाम पर लालकिले तक की उनकी भूमिका पर चिंता करने की जरूरत है। भारतीय समाज के लोग दशकों से अपमान झेलते आये हैं। हज़ारों सनातनी पंजाब में आतंक की भेंट चढ़ गए, मग़र हमने उफ तक न की, हत्या का आरोप तक नहीं लगाया। लाल किला कांड तक पर देश ने माफ कर दिया। याद कीजिये कि पिछले दिनों बदसलूकी का आरोप लगा कर मानसिक विक्षिप्तों तक के प्राण छीन लिए गए। एक सैनिक की इसलिए हत्या हुई कि उसने गुरुघर से बगैर अनुमति पानी पी लिया। याद कीजिये- योगराज सिंह ने CAA विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा कि हिंदुओं की बेटियां टके टके पर बिकती थीं। यह सब हमने बर्दाश्त किया।

सिख समुदाय को अब चिंतन करने की जरूरत है। उन्हें यह सोचना चाहिए कि आप छोटा भाई होने का हक रखते हैं। आप सनातन की सैन्य शक्ति हैं। सनातन ने आपको बड़ा भाई माना, मग़र आज फिर पंजाब में फिर भिंडरवाले, राजोआना और ‘खाड़कुओं’ के फोटो स्वर्ण मंदिर म्यूज़ियम में लगाये जाते हैं, कोई कुछ नहीं कहता। आप CAA के विरोध में खड़े हो जाते हैं। कृषि कानून के विरोध के बहाने क्या क्या हुआ, सबने देखा, मग़र सनातन शांत और सहनशील बना रहा। जिस नागरिकता कानून का आप विरोध कर रहे थे, अब केवल उसी की शक्ति आपको भारत में संरक्षण और सुरक्षा दे सकेगी।

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काबुल में जब आज आप भीषण अत्याचार के शिकार बनते हैं, तब भी सनातन ही आंसू बहा रहा है क्यों? आप CAA, 370 हटाने के विरोधी थे, विरोध आपका हक था। आज काबुल में आपके भाइयों पर अत्याचार की इंतेहा लिखी जा रही है तो आप खामोश क्यों हैं? क्या मजबूरी है? एक देश, जिसके निर्माण में सिख समुदाय का बहुत बड़ योगदान रहा है, जहां महाराजा रणजीत सिंह की विरासत है, वहां इस दुर्गति के विरूद्ध विश्व के किसी कोने से कोई आवाज नहीं आ रही। क्यो? अब तो वह गुरुद्वारा कुछ ही दिनों में किसी अन्य स्थल के रूप में स्थापित हो जाएगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

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