आचार्य श्री विष्णुगुप्त
Atik Ahmed: अतीक अहमद (Atik Ahmed) के बेटे असद (asad ahmed) की प्लानिंग जानकर आप हैरान और परेशान हो जायेंगे। उसकी प्लानिंग अगर सफल हो जाती ते फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath) की बहुत ही बदनामी होती और नरेन्द्र मोदी को भी कंधार-काबुल प्रकरण पर अटल बिहारी वाजपेयी की तरह बदनामी झेलनी पड़ती। असद की कामयाबी का अर्थ उत्तर प्रदेश की पुलिस और भारतीय गुप्तचर एजेंसियों की विफलता और नकारापन होता। लेकिन यूपी एसटीएफ (ATS) ने सही समय पर क्लीक कर देश की बदनामी होने से बचा लिया।
असद (asad ahmed) की प्लानिंग बहुत ही हिंसक और खतरनाक थी। वह सिर्फ अचूक गोलियां चलाने में ही माहिर नहीं था, बल्कि बमबाजी करने में भी माहिर था। अतीक अहमद और उसके चाचा ने असद को बचपन से ही गोलियां चलाने और बमबाजी करने का प्रशिक्षण दे रखा था। वह मानसिक रूप से भी हिंसक था और हिंसा का भूत उसके उपर सवार था। विषवमन करने वाले ओवैशी का भी असद भक्त था और उसके मार्ग पर चलना चाहता था। उसके इस्टाग्राम की पोस्ट को देख कर उसकी हिंसक और घृणित मानसिकता का पता चल जायेगा। असद ने खुद गोलियां चला कर उमेश पाल की हत्या की थी।
असद अपने बाप अतीक अहदम को पुलिस से मुक्त करा कर पाकिस्तान ले जाना चाहता था। उसकी योजना थी कि वह पुलिस वैन पर बमबाजी करता और पुलिसकर्मियों की हत्या कर देता, अगर कोई बच जाता तो फिर वह दूसरे प्लान के तहत मारा जाता। यानी की गालियों से भूनने का प्लान दो था। वह कोई एक नहीं बल्कि ताबडतोड़ अनेक बमों से हमला करता। बम चलाने में वह माहिर था ही। अतीक अहमद को गुजरात से लाने वाले मार्ग की उसकी जानकारी पहले से ही थी। उसके साथ ऐसी घटना को अंजाम देने के लिए पूरी टीम थी। उसकी प्लानिंग कैसे विफल हो गयी। वास्तव में भगवान भरोसे ही पुलिसकर्मियों की टीम बच गयी। काफिले की एक गाड़ी राजस्थान में खराब हो गयी। गाड़ी खराब होने के कारण काफिले को और अतीक अहमद को राजस्थान के एक थाने में रखना पड़ा। दो घंटे से अधिक समय तक अतीक अहमद का काफिला थाने में पड़ा रहा। इसी समय असद की हड़बडाहट और कॉल डिटेल ने भी अपना रंग दिखाया।
इसी दौरान एसटीएफ को इसका इनपुट मिल गया। एसटीएफ ने इसकी जानकारी सीएम योगी तक पहुंचायी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ये जानकार बहुत ही हैरान-परेशान हुए। उन्होंने तुरंत निडर होकर कार्रवाई करने का आदेश दिया। समय पर एटीएफ को सूचना मिल गयी और सीएम योगी ने निडर होकर कार्रवाई करने का आदेश देकर साहस दिखाया। यही कारण है कि असद की योजना विफल हुई। असद अपने बाप को पाकिस्तान कैसे ले जाता? पुलिस से छुड़वाकर अपने बाप अतीक अहमद को वह सीधे नेपाल ले जाता। नेपाल में आईएसआई का पूरा नेटवर्क है। आएसआई उसे पहले नेपाल में छिपा देती और फिर अंतरराष्टीय विमान पर बैठा कर पहले दुबई या किसी अन्य देश में भेजवा देती। फिर दाउद इब्राहिम की तरह पाकिस्तान उसे शरण दे देता। यानी कि अतीक अहमद भी दाउद बन कर भारत के लिए काल बना रहता और अपनी हिंसक गतिविधियां अपने गूर्गों के माध्यम से भारत में चलाता रहता। आईएसआई से उसके संपर्क पहले से ही रहा है। अतीक अहमद को हथियार देने वाली आईएसआई ही रही है। ऐसी रिपोर्ट पुलिस की है।
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असद की टीम बहुत बड़ी थी। बिना बड़ी टीम के वह दो-दो महीने तक उत्तर प्रदेश की एसआईटी टीम को चकमा कैसे दे सकता था। बमबाजी कर छोड़ाने की कोशिश सिर्फ दो आदमी के बल पर नहीं हो सकती थी। इसके लिए एक दर्जन लोगों की भूमिका होगी। अब यूपी एसटीएफ को असद की पूरी टीम को दबोचने की जिम्मेदारी शेष है। अटल बिहारी वाजपेयी के समय इंडियन एयरलांइस के एक विमान का अपहरण हुआ था, जिसमें दो सौ से अधिक भारतीय यात्री बंधक बने थे। विमान को कंधार-काबुल ले जाया गया था फिर अटल बिहारी वाजपेयी के कांग्रेसी सलाहकार बृजेश मिश्रा की कारस्तानी से आईएसआई की योजना सफल हुई। विमान और यात्रियों की रिहाई के बदले में वाजपेयी को कई दुर्दांत पाकिस्तानी आतंकवादियों को छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा था। इस कारण वाजपेयी की बहुत बदनामी हुई थी। नरेन्द्र मोदी और योगी आदित्यनाथ प्रशंसा के पात्र हैं कि इनके पास वाजपेयी की तरह कोई कांग्रेसी बृजेश मिश्रा सलाहकार नहीं है और न ही जाति के नाम पर देश व राज्य की सुरक्षा को दांव पर लगाते हैं।
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