- 1962 के चुनाव में बाबूलाल श्रीवास्तव के घर आए थे अटल जी
- बाबूलाल जी के परिवार के साथ घर पर किया था भोजन
- 1962 के चुनाव में नगर के प्रताप बहादुर पार्क में किया था जनसभा को संबोधित
- इस चुनाव में राजा अजीत प्रताप सिंह लोकसभा सांसद, बाबूलाल श्रीवास्तव, ओंकार नाथ द्विवेदी और बालेंदु भूषण सिंह जनसंघ से हुए थे विधायक
- अंतिम बार 1996 में रामलील मैदान में एक विशाल जनसभा को किया था संबोधित
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ
इस कविता के शब्द शब्द से अंतर्मन को झझकोरने वाले पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई के यादगार पल प्रतापगढ़ के जनसंघ के प्रथम नायक स्व बाबूलाल श्रीवास्तव के नगर स्थित कमला कुटीर से जुड़ा हुआ है। सन 1962 में जनसंघ की अलख जगाने श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेई जी प्रतापगढ़ आए वह एक एक छोटे से हवाई जहाज से आए थे उनका जहाज पृथ्वी गंज हवाई अड्डा पर उतरा था यहां पर उन्होंने नगर स्थित प्रताप बहादुर पार्क में जनसंघ के लोकसभा उम्मीदवार राजा अजीत प्रताप सिंह, विधायक के उम्मीदवार बाबूलाल श्रीवास्तव , ओंकार नाथ द्विवेदी और बालेंदु भूषण सिंह के लिए एक जनसभा को संबोधित किया था। बाल्यकाल से स्वयं सेवक रहे पूर्व विधान परिषद सदस्य ,भाजपा के यूपी के पूर्व महामंत्री विंध्यवासिनी कुमार श्रीवास्तव जो इस समय हाईस्कूल के छात्र थे जो अटल जी की जनसभा को सुनने गए थे ने बताया की उसी दिन नगर जीआईसी मैदान में पूर्व प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी एक जनसभा को संबोधित किया था। इस जनसभा ने प्रतापगढ़ में एक नया इतिहास रचा जिसमें जनसंघ से तीन विधायक बाबूलाल श्रीवास्तव, ओंकारनाथ द्विवेदी, बालेंदु भूषण सिंह विधायक चुनकर विधान सभा पहुंचे और राजा अजीत प्रताप सिंह जनसंघ से जीत कर सांसद बनकर लोक सभा पहुंचे। जनसभा को संबोधित करने के बाद अटल बिहारी बाजपेई नगर सेठ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता लखन लाल के साथ बाबूलाल श्रीवास्तव के निज निवास नगर के कटरा रोड स्थित कमला कुटीर पहुंचे जहां पर बाबूलाल श्रीवास्तव के पत्नी और बच्चों के साथ घर में बने भोजन को ग्रहण किया और इस घर में काफी देर तक रुके ।
अटल जी के घर आगमन को यादगार रखने के लिए बाबूलाल श्रीवास्तव ने कैमरे में कैद कराई जो आज भी उनके परिवार के लोग बहुत संजो कर रखे हुए हैं। बाबूलाल श्रीवास्तव के सबसे छोटे बेटे पूर्व न्यायाधीश ज्ञान चंद्र श्रीवास्तव जी जो अटल जी के साथ छाया चित्र में मौजूद हैं बताते हैं कि श्रद्धेय अटल जी का सानिध्य उस दिन उन्हें भरपूर मिला । उन्होंने अपने हाथों से खाना परस कर उन्हें खिलाया था। अटल जी उनकी पीठ थप थपाकर उन्हें सबासी दी थी। उसके बाद वह सड़क मार्ग से 1967 के चुनाव में प्रतापगढ़ आए और नगर के हादी हाल में जनसंघ के उम्मीदवारों के पक्ष में एक जनसभा को संबोधित किया था। इस बार भी वह जनसभा को संबोधित करने के बाद बाबूलाल श्रीवास्तव के आवास पर आए और नाश्ता पानी करके कुछ देर यहां रुके। इस दौरान उनके साथ यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता और शहर के कई मानिंद लोग डॉक्टर गुलाब चन्द्र खत्री, के पी इंटर कालेज के प्रिंसिपल ओम प्रकाश श्रीवास्तव, नरसिंह तिवारी, महबीर श्रीवास्तव एडवोकेट,राम सेवक त्रिपाठी एडवोकेट, पीबी इंटर कालेज के प्राचार्य रामाशंकर सिंह,जगत नारायण खंडेलवाल, लखनलाल और बाबूलाल श्रीवास्तव जी स्वयं मौजूद रहे । बाबूलाल श्रीवास्तव बेटे पूर्व न्यायाधीश ज्ञान चंद्रा बताते हैं उनके घर से नगर के सेठ लखन लाल जी के फिएट कार से बाबूलाल श्रीवास्तव, लखनलाल और बाबूलाल के छोटे बेटे ज्ञान चंद्रा को लेकर कुंडा में एक जनसंघ को संबोधित करने गए। 1967के चुनाव में अटल जी प्रतापगढ़ जनपद के बीरापुर विधानसभा क्षेत्र में प्रचार करने के लिए आए थे जो उस समय मछलीशहर संसदीय क्षेत्र में था। यहां पर वो रानीगंज स्थित लाला की बाग में एक जनसभा को संबोधित किया था। अटल जी जनसंघ के पदाधिकारी सत्यनारायण गुप्ता के मधवापुर गांव और दरियापुर के लाल साहब कृष्णकांत के घर भी गए थे। जहां से वह सायकिल से कई गांवों का भ्रमण कर जनसंघ के उम्मीदवार के लिए प्रचार किया और वोट मांगा था। भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष तत्कालीन अध्यक्ष गणेश नारायण मिश्र बताते हैं की अटल बिहारी बाजपेई अंतिम बार 1996 में नगर रामलीला मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था। वह जनसभा को संबोधित करने सड़क मार्ग से प्रतापगढ़ आए सड़क के गड्ढे और खराब हालात पर अटल जी ने मंच से तंज कसते हुए कहा की मैं सुल्तानपुर रोड से सड़क मार्ग से आ रहा था तो उनकी कार जिसमें वह बैठे थे ऐसा लगा रहा था जैसे किसी पालने में झूल रहे हैं। अटल जी को सुनने को यहां पर सैलाब उमड़ पड़ा था। अटल जी अटल हैं अटल रहेंगे।अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कवि कृष्ण गोपाल त्रिपाठी की ये पंक्तियां अटल की अटल यात्रा को अमर बनाती है।
देश भक्ति में मदहोश सा,जवानी मैं भरता जो जोश था
जी जान से जुटता था,भारत के दिल में वो जो बस्ता था
जो पोखरण का राज़ था,कारगिल विजय का सरताज था
सड़कों का जिसने किया आगाज़ था,यू एन की आवाज़ था
जो मनाली में भी बसता था,और उत्कृष्ट व् भावुक कवि था
जो रग रग हिन्दू था,भारत जिसके दिल दिमाग में बसता था
जिसके एक एक शब्द में दमख़म था,वो युगपुरुष अटल था
अटल था अटल है अटल रहेगा, दिल में हमारे जो अटल था