आये थे भ्रष्टाचार मिटाने पर खुद भ्रष्टाचारी (meaning of corruption) बन गये, आये थे नैतिकता कायम करने पर खुद अनैतिक हो गये, आये थे बुराइयां मिटाने पर खुद शराब की बुराइयों में समा गये, आये थे दिल्ली को वर्ल्ड क्लास का शहर बनाने पर दिल्ली को झुग्गियों का शहर बना डाले, आये थे दिल्ली को साफ और स्वच्छ पानी पिलाने के लिए पर दिल्ली की जनता को शराब में डूबा दिये, आये थे तिरंगा को मान बढ़ाने पर रोहिंग्या, बांगलादेशियों और पाकिस्तानियों के संरक्षक व सहयोगी बन गये। ये पक्तियां अरविद केजरीवाल (Kejriwal News) के ऊपर सही बैठती हैं। केजरीवाल (Kejriwal News) का एक मंत्री सत्येन्द्र जैन पहले से ही भ्रष्टाचार (meaning of corruption) के आरोप में जेल में बंद हैं, उस पर बैमानी कंपनियां बना कर पैसों की हैराफेरी करने का आरोप है।
सत्येन्द्र जैन उस स्वास्थ्य मंत्रालय के मंत्री हैं, जिस स्वास्थ्य मंत्रालय का अरविंद केजरीवाल खुद डूगडूगी बजाते हैं और कहते हैं कि उनका मोहल्ला किलिनिक दुनिया का सबसे लोकप्रिय मॉडल है, हालांकि दिल्ली की जनता यह जानती है कि मोहल्ला किलिनिक में कौन सा इलाज होता है और कौन सी दवाइयां वहां पर मिलती हैं, अधिकतर मोहल्ला किलिनिक सफेद हाथी के दांत हैं। मोहल्ला किलिनिक के नाम पर करोड़ों रुपयों का घपला (meaning of corruption) हो रहा है। जब कोरोना काल था तब मुहल्ला किलिनिक गायब थी, दिल्ली की जनता उस भीषण व जानलेवा काल में सिर्फ केन्द्रीय अस्पतालों के भरोसे ही थी।
अब केजरीवाल (Kejriwal News) का सबसे प्रिय पात्र, जिसे वे उप मुख्यमंत्री बना कर रखा है वे भी भ्रष्टाचार के मीनार बन गये हैं। यहां बात केजरीवाल सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की हो रही है। मनीष सिसोदिया के घर में सीबीआई का छापा पड़ चुका है। मनीष सिसोदिया के घर से सीबीआई ने भ्रष्टाचार के कागजात यानी की सबूत जुटाए हैं। पहले तो मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल ने खूब पैंतरेबाजी की थी, जमकर धमकियां पिलायी थी और कहा था कि हिम्मत है तो सीबीआई जांच करा कर दिखाओ, भ्रष्टाचार के प्रमाण पत्र दिखाओ।
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अब सीबीआई ने छापा मार कर भ्रष्टाचार के सबूत भी जुटाये हैं और भ्रष्टचार की केजरीवाल-सिसोदिया गिरोह का भी पता कर लिया है। उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने जो भ्रष्टाचार के सबूत जुटाये हैं उनमें केवल मनीष सिसोदिया के ही नाम नहीं बल्कि उसके भ्रष्टाचार के गिरोह में कोई दर्जन भर से अधिक लोगों के नाम हैं।
भ्रष्टाचार की बात उसी दिन पक्की हो गयी थी, जिस दिन से शराब की दुकानों में बेतहाशा भीड़ जुटने लगी थी, लंबी-लंबी भीड़ की कतारें दिख रही थी। शराब की दुकानों पर लगी बड़ी भीड़ से लोग हैरान और परेशान थे। एक बोतल, एक पैटी पर दूसरा बोतल और दूसरी पैटी मुफ्त थी। जब कोई मुफ्त की चीज मिलती है तो फिर उस पर लालची लोग दौड़ लगाते ही है। जब शराब पर एक फ्री मिलेगी तब शराबी भीड़ लगायेंगे ही। लेकिन इस भीड़ के नेपथ्य में भ्रष्टाचार की कहानियों की तह पर तह होगी, इसकी उम्मीद कम ही थी। आम आदमी पार्टी की सरकार तर्क देती थी कि इससे दिल्ली सरकार की आय बढ़ेगी और दिल्ली की जनता कच्ची शराब पीना बंद करेगी, कच्ची शराब पीने से कितनी भयानक बीमारियां होती हैं, यह भी स्पष्ट है।
कई राज्यों में जहां शराब बंदी है या फिर कच्ची शराब बनाने और पीने पर प्रतिबंध है वहां पर जहरीली शराब पीने से हुई मौतें भी ध्यान खीचंती हैं। लेकिन भाजपा के लोग अरविंद केजरीवाल की इस शराब नीति के खिलाफ आंदोलनों की झड़ी लगा दी थी और एक पर एक धरना-प्रदर्शनों का आयोजन की थी। भाजपा का सीधा आरोप था कि इस शराब नीति में अरबों रुपयों का घोटाला हुआ है, प्राइवेट पार्टियों से पैसों की उमाही की गयी है।
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भ्रष्टाचार की बात पक्की होने के प्रमाण भी मिल गये हैं। मनीष सिसोदिया और अरविंद कजेरीवाल तो क्या आम आदमी पार्टी के पास इस करतूत का कोई जवाब हो ही नहीं सकता है कि टेंडर शुल्क क्यों माफ किया गया? टेंडर शुल्क कोई एक-दो करोड़ का नहीं है, बल्कि टेंडर शुल्क की राशि जानकार आप हैरान और परेशान भी हो सकते हैं। टेंडर शुल्क की राशि डेढ़ सौ करोड़ के आसपास है। यानी कि आम आदमी पार्टी ने शराब माफियाओं को डेढ़ सौ करोड़ रुपये का माफी दिया था। अगर टेंडर शुल्क माफ नहीं किया गया होता, तो फिर ये डेढ़ सौ करोड़ रुपये दिल्ली राजधानी क्षेत्र की सरकार के खाते में आते।
अगर सिसोदिया की शराब नीति अच्छी थी तो फिर इन्होंने अपनी ही शराब नीति क्यों वापस ली थी। सरकारी शराब दुकानों को बंद कर प्राइवेट दुकानों को शराब बेचने का आदेश क्यों दिया गया? प्राइवेट लाइसेंसे ऐसे-ऐसे को दिये गये जो मनीष सिसोदिया के नजदीक थे और शराब के क्षेत्र में बडे खिलाड़ी रहे हैं। जाहिरतौर पर प्राइवेट कंपनियों को शराब की दुकानें खोलने के लिए गलत ढंग से लाइसेंस दिये गये। इसके अलावा शराब दुकानें आवासीय आबादी के बीच भी खोली गयी।
ऐसे बेहया लोगों से कोई प्रश्न भी नहीं पूछा जा सकता है। क्या आप शराब बेचने और दिल्ली शहर को शराब में डूबोने के लिए आये थे? देश में ऐसे कई उदाहरण हैं जो शराब से होने वाले नुकसानों को देखते हुए शराब बेचना और शराब पीलना अनैतिक व अपराध माना गया है। देश के महापुरुषों ने शराब के खिलाफ अभियान चलाया था और शराब को सबसे बड़ी बुराई बतायी थी। देश की लाखों महिलाएं अपने घर और परिवार को बचाने के लिए शराब दुकानों को बंद कराने में संघर्ष करती रही हैं। शराब के नशे से न केवल घर-द्वार बर्बाद होता है बल्कि खेलता-हंसता परिवार और खुशहाल जिंदगियां भी तबाह हो जाती हैं।
कभी हरियाणा में बंसीलाल ने पूर्ण शराब बंदी लागू किया था। गुजरात में पूर्ण शराबबंदी है। बिहार में भी पूर्ण शराबबंदी हैं। अगर आप महान समाज सुधारक हैं, अगर आप महान राजनीतिज्ञ हैं तो फिर आपका काम शराब बेचना और देश की राजधानी दिल्ली को शराब में डूबोने का नहीं होना चाहिए था। मनीष सिसोदिया सिर्फ शराब मंत्री ही नहीं बल्कि शिक्षा मंत्री हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों को आईकॉन बताया जाता है, दुनिया का सबसे अच्छा मॉडल बताया जाता है। फिर इन प्रश्नों का उत्तर आम आदमी पार्टी के नेता क्यों नहीं देते कि केजरीवाल, सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के विधायकों-नेताओ के बच्चे सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ते हैं, इनके बच्चे प्राइवेट स्कूलों में क्यों पढ़ते है?
एक ही प्रकार के लेख न्यूयार्क और खलील टाइम्स में छपवाने की करतूत क्यों करनी पड़ी। प्राइवेट स्कूल के बच्चों का फोटों सरकारी स्कूल के बच्चों का फोटो कह कर न्यूयार्क टाइम्स और खलील टाइम्स में छपवाने की जरूरत क्यों पड़ी? केजरीवाल सरकार एक भी नया स्कूल और एक भी नया अस्पताल क्यों नहीं खोल पायी? मनीष सिसोदिया पिछले विधान सभा चुनाव में हारते-हारते बचे थे और मात्र 1600 वोटों से जीते थे। भाजपा की रवि नेगी ने इन्हें पानी पिला दिया था। जब मनीष सिसोदिया इतने लोकप्रिय थे तब अपने क्षेत्र से विशाल समर्थन क्यों नहीं जुटा पाये थे, इनके सरकारी स्कूलों के कायाकल्प करने के कथित दावों से जनता क्यों नहीं चमत्मकृत हुई?
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केजरीवाल का झूठ और अनैतिकता किसे नहीं मालूम है। लोकपाल के नाम पर जनता को ठगा, अन्ना को ठगा। अरुण जेटली, नितिन गडकरी और विक्रम मजेठिया जैसे लोगों पर झूठे आरोप लगा कर माफी मांगे। इन्होंने दावा किया था कि शीला दीक्षित के खिलाफ चार सौ पेज की भ्रष्टचार कहानी उसके पास है। आज तक केजरीवाल शीला दीक्षित के चार सौ पेज की भ्रष्टचार की कहानी जनता को नहीं दिखा पाये। शीला दीक्षित परलोक भी चली गयी। ऐसे कई अन्य भी उदाहरण है। सिर्फ बिजली-पानी पर थोड़ी राहत देकर भ्रष्टचार करने और झूठ फैलाने का जन्मसिद्ध अधिकार केजरीवाल गिरोह ने मान लिया है। अब कानून का पाठ पढ़ना ही होगा मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल के भ्रष्टचारी गिरोह को।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)