लखनऊ: हमें यह आजादी बड़े संघर्षों के बाद मिली है, आजाद होने से ज्यादा जरूरी है उसे संजोये रखना व सुन्दर बनाना। बिना खड्ग और ढाल के आजादी मिल गई है यह कहना शहीदों और जवानों का अपमान है। उक्त उद्गार विशिष्ट अतिथि रेशमा एच. सिंह ने आज़ादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित राष्ट्रहित सर्वोपरि कार्यक्रम के 12वें अंक में व्यक्त किए। यह कार्यक्रम सरस्वती कुंज, निराला नगर के प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) उच्च तकनीकी (डिजिटल) सूचना संवाद केन्द्र में विद्या भारती, एकल अभियान, इतिहास संकलन समिति अवध, पूर्व सैनिक सेवा परिषद एवं विश्व संवाद केन्द्र अवध के संयुक्त अभियान में चल रहा है।

मुख्य अतिथि वीर चक्र से सम्मानित मेजर विष्णु स्वरुप शर्मा ने कहा कि हमारे जीवन में शिक्षा और अनुशासन का होना बहुत आवश्यक है, यदि हम इन बातों का अनुसरण करके कोई लक्ष्य निर्धारित करते हैं तो हमें सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि सेना अनुशासन, ईमानदारी और नेतृत्व करना सिखाती है। सेना के जवानों की भांति हम भी अपने कार्य क्षेत्र में इन बातों का अनुसरण करें तो हमारा देश सबसे आगे होगा। इस अवसर पर उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए भैया-बहनों को राष्ट्रहित में सर्वोच्च योगदान के लिए प्रेरित किया।

Amrit Mahotsav of Azadi

विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय रक्षा जागरण मंच की अध्यक्षा रेशमा एच. सिंह ने कहा कि आज हम आज़ादी का 75वां वर्ष अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं, यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के अंदर देश प्रेम की भावना को जागाना होगा ताकि हमारा देश बाहर व अंदर दोनों से मजबूत बन सके। महिलाओं व एनसीसी कैडेटस छात्राओं प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि सभी प्रकार के अन्याय का सामना आपको सबसे पहले करना होगा क्योंकि आपके अंदर वह शक्ति है, चाहे आप इसे जानते हों या नहीं। एक स्त्री के माध्यम से सभी प्रकार की जीवन ऊर्जा और सृष्टि का प्रवाह होता है। आप इस ब्रह्मांड को भरने वाले शक्ति हैं।

कार्यक्रम अध्यक्ष अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के सह संगठन मंत्री संजय श्रीहर्ष जी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीरों ने योगदान दिया और कई मातृभूमि के लिए बलिदान हो गए, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को तोड़-मरोड़ के पेश किया गया, जिससे देश के असली नायक भुला दिये गए, और हमारे देश में भगत सिंह और चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे वीर पैदा न हो व युवा पीढ़ी में उनकी भांति साहस न हो, इस षड्यंत्र को समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव मनाने का उद्देश्य इतिहास में भुला दिए गए उन वीरों और उनकी वीर गाथाओं को जन जन तक पंहुचाना है, जिससे हमारा देश मृत्युंजय राष्ट्र बना रहे। आप जो कुछ बनना है उसके लिए अपने लक्ष्य निर्धारित तो करिए ही, लेकिन आपको सबसे पहले भरतीय बनना होगा। हमारे देश में क्रांति से ज्यादा महत्व संक्राति का रहा है। आज जो कुछ हमें मिला है, उसके लिए कई पीढ़ियों ने अपना योगदान दिया है। आज हम जिस भी क्षेत्र में हैं, उसमें जागरूकता लाने की जरूरत है।

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मुख्य वक्ता पूर्व सैनिक सेवा परिषद, लखनऊ सेवा निवृत्त कर्नल अनिल आहूजा ने सेना में अपने अनुभव को सभी से साझा किया। उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्र एक ऐसा राष्ट्र है, जहां से सृष्टि का शुभारंभ हुआ। इस राष्ट्र में जन्मे आर्य पूरी दुनिया में फैले इसलिए हमारी भारतीय संस्कृति सबसे प्राचीन संस्कृति है। उन्होंने कहा कि हमारा हिन्दू धर्म इन सभी संस्कृतियों को अपने भीतर समाहित किए हुए है, जिसके लिए हमें गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के प्रत्येक व्यक्ति को अपना राष्ट्रधर्म समझने की आवश्यकता है, जिससे हम अपने देश को श्रेष्ठ बना सकें, तभी इस अमृत महोत्सव का सही अर्थ सिद्ध हो पाएगा।

कार्यक्रम में आए अतिथियों का परिचय व प्रस्ताविकी भारतीय शिक्षा परिषद के सचिव दिनेश ने कराया और आभार ज्ञापन इतिहास संकलन समिति अवध प्रांत के सदस्य डॉ. मुनेंद्र सिंह ने किया। कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा ने किया। इस अवसर पर ऑटोनॉमस स्टेट मेडिकल कॉलेज, बस्ती के प्रिंसिपल डॉ. नवनीत कुमार, लखनऊ विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के डॉ. असिस्टेंट प्रोफेसर प्रशांत शुक्ला, विभाग, ले. जनरल बीएन बीएन प्रसाद भारतीय शोध संस्थान के कोषाध्यक्ष डा. शिवभूषण, बालिका शिक्षा प्रमुख उमाशंकर मिश्र, विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे, संजय तिवारी, सत्यानंद, कार्यक्रम संयोजक डॉ. मुकेश, 63 यूपी एनसीसी बटालियन लखनऊ के कैडेट सहित कई लोग मौजूद रहे।

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