नई दिल्ली: “स्मार्ट विलेज के विकास के माध्यम से नए भारत का सृजन” देश में स्मार्ट सिटी के साथ स्मार्ट यानी स्वावलंबी और महात्मा गांधी के ग्राम सुराज का सपना साकार हो। ताकि शहर के साथ विकास की दौड में देश के छह लाख गांव भी कंधे से कंधा मिलाकर चल सके और रुक सके ग्रामीणों का पलायन इस सामयिक और आज की गंभीर आवश्यकता विषय पर एबी फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित वेबीनार में मुख्य वक्ता इन्दिरा गाधी संस्कृति कला केन्द्र के अध्यक्ष, जेपी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नायकों में एक व हिंदुस्तान समाचार के ग्रुप एडिटर पद्मश्री रामबहादुर राय ने अपने सारगर्भित संबोधन में कहां कि बापू के सपनों का भारत ऐसा था जहां सत्ता विकेन्द्रीकृत हो तथा स्वराज की स्थापना के लक्षय के साथ मुख्य उद्देश्य ग्राम्यांचलों को आत्मनिर्भर बनाना था।
उन्होंने गांधी जी की वचन प्रतिबद्धता एवं सपनों को अपने शब्दों में पिरोकर सरकार को उसके दायित्व की याद दिलाते हुए कहा कि शहरों में तो थोड़ी बहुत सत्ता आई है किंतु गांव आज भी सत्ता विहीन हैं। हालांकि सत्ता के कुछ एजेंट जरूर वहां पहुंच गए हैं। उन्होंने नए भारत के लिए महर्षि अरविंद, स्वामी विवेकानंद तथा जयप्रकाश नारायण के सपनों की चर्चा करते हुए कहा कि जहां गांव अपना निर्णय खुद ले सकें। सरकार की भूमिका गावों के अनुकूल महज बुनियादी सुविधा प्रदाता की हो उसको नियंत्रित करने की नहीं। उस पर नियंत्रण ग्रामवासियों का ही होना चाहिए। वे ही अपने गांव के भविष्य की संरचना का फैसला लें तथा सरकार उन्हें सारी सुविधा उपलब्ध कराए, ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने इस काम में सरकार की भूमिका को सीमित करने के पर बल दिया।
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उन्होंने संविधान सभा मे हुई चर्चा की भी याद दिलाई। साथ ही साथ लोगों से अपील की कि वे अपने दायित्व को आत्मसात करते हुए जनमत को जगाने में अपने कर्तव्य का निर्वहन करें। नेहरू युवा केन्द्र के पूर्व निदेशक देश में तीसरी सरकार (ग्राम सुराज) की परिकल्पना को मूर्त रूप देने के महती कार्य में मन- प्राण से जुटे इस अवधारणा के प्रवर्तक डा एपीजे अब्दुल कलाम स्मारक और राष्ट्रीय स्वाभिमान पुरस्कार प्राप्त समाजसेवी प्रयागराज के डॉक्टर चंद्रशेखर प्राण ने अपने संबोधन में स्मार्ट शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि भिन्न व्यक्तियों तथा भिन्न परिस्थितियों के तहत इसका प्रयोग होता है। उन्होंने बताया कि जीवन को चलाने के लिए साधन तथा संबंध जरूरी है जहां साधन की सीमा है परंतु संबंध की कोई सीमा नहीं होती।
संबंध को अधिक विकसित कर भारत नए आयाम पा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में खुद ही खुशहाली का ऐसा वातावरण बने जो संस्कृति से परिपूर्ण हो। इसकी आज के समाज को ज्यादा जरूरत है। उन्होंने स्मार्ट सिटी तथा स्मार्ट विलेज को केन्द्र सरकार की कार्य सीमा से हटाकर स्थानीय निकाय व पंचायतों की सीमा में शामिल करने की उपयोगिता पर बल दिया। केन्द्र का काम सिर्फ निगरानी भर का ही हो। अनुसूचित जाति तथा जनजाति जीवन पर कार्य कर रहे आईआईटी कानपुर के अंकित सक्सेना ने बतौर तीसरे वक्ता इस पर चर्चा करते हुए कहा कि देश की 65 फीसदी आबादी गांव में रहती है लेकिन हम आज भी ग्रामीणों की मूलभूत समस्याओं को समझने में असमर्थ रहे हैं। इसे यथाशीघ्र समझने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में संस्था के मार्गदर्शक तथा वरिष्ठ पत्रकार पदम पति शर्मा ने विषय की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि यदि हमें नये भारत का सही मायने में निर्माण करना है तो गांवों को स्मार्ट यानी अत्याधुनिक बुनियादी सुविधाओं से लैस करना होगा । इसके लिए उन्होने फंड की व्यवस्था करने के लिए अर्थ क्रान्ति के जनक अनिल बोकिल की अवधारणा को तत्काल लागू करने पर जोर दिया। उन्होंने इसी के साथ अपने अनुभव को भी सभी के साथ साझा किया। फाउंडेशन के ट्रस्टी दिल्ली के चार्टर्ड अकाउंटेंट तथा आर्थिक मामलों के जानकार चंद्रकांत मिश्रा ने अपनी संस्था की ओर से विभिन्न विषयों पर कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान आयोजित वेबिनारों की जानकारी दी।
कार्यक्रम के संचालन का दायित्व रवि पांडे ने हमेशा की तरह सफलता के साथ निर्वहन किया। अंत में फाउंडेशन की ओर से अपने धन्यवाद ज्ञापन में कोलकाता के अधिवक्ता व समाज सेवी आनंद कुमार सिंह ने सभी वक्ताओं, श्रोताओं तथा अपनी टीम के साथियों का आभार व्यक्त करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में भारत ग्राम स्वराज पर आधारित होगा। देश सम्पूर्णता के साथ आत्मनिर्भर बने, इस विश्वास के साथ उन्होने वर्चुअल गोष्ठी को विराम दिया।
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