हर साल की तरह 2020 जनवरी, एक नए साल का आगाज़ भी नए जोश, नए सपनों, नयी उम्मीदों, नए संकल्प और नए वादों के साथ हुआ। समय के साथ आगे बढ़ते हुए जैसे किसी को नहीं पता होता कि काल के गर्त में क्या छुपा है, ठीक उसी तरह साल की शुरूआत तो खुशगवार हुई लेकिन धीरे-धीरे एक ऐसी महामारी ने पाँव पसारना शुरू कर दिया जिसने सम्पूर्ण विश्व को अपने जाल में घेर लिया। चीन के बुहान से शुरू हुई कोविड19 महामारी पूरी दुनिया में फैल गई, जिसका नतीज़ा यह हुआ कि हर तरफ इस बीमारी से लोगों के बीमार होने और बीमारी के कारण मृत्यु का सिलसिला शुरू हो गया। इसका प्रकोप इतना भयावह था कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने मात्र से दूसरे व्यक्ति को संक्रमण का डर था। इससे पीड़ित व्यक्ति प्राथमिक स्तर पर यदि इलाज ना करवाए तो फेफड़ों तक संक्रमण पहुंच जाने पर मरीज को बचा पाना मुश्किल हो जाता।
पूरे विश्व में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। इस महामारी का प्रकोप ऐसा था कि दुनिया में सभी देश लाॅकडाउन को ही एक मात्र विकल्प समझते हुए इस पर एकमत हुए, पूरा विश्व ठहर सा गया। खेत, खलिहान, सड़क, ट्रेन, आॅफिस, कारखाने, स्कूल, कॉलेज सभी का दैनिक क्रियाकलाप और चक्र रुक गया। इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए ही हम इस महामारी को मात दे सकते थे। क्योंकि हमारे वैज्ञानिक और चिकित्सक इस बीमारी का कोई भी इलाज अभी तक नहीं खोज पाए थे। हमने क्या हमारे बड़े बुजुर्गों ने भी अपने जीवन काल में ऐसी परिस्थिति का सामना नहीं किया था। हम अपने ही घरों में कुछ महीनों के लिए कैद हो कर रह गए।
धीरे-धीरे कुछ समय के बाद महामारी ने अपना विकराल रूप धारण कर लिया मृत्यु दर बढ़ती जा रही थी। भारत में भी आपात स्थिति आ गई। किंतु इसका कोई उपचार नहीं मिल पा रहा था, वैसे आज विश्व भर के चिकित्सक और वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों के फलस्वरूप टीका निर्माण हुआ है अब यह कितना प्रभावकारी होगा ये तो समय ही बताएगा।
जीवन में जड़ता, मन में चंचलता: महामारी काल ने विश्व स्तर पर सभी के जीवन में स्थिरता ला दी थी, किंतु इस स्थिर जीवन का नतीज़ा ये हुआ कि सभी लोग अपने आम जीवनचर्या को छोड़ कर घरों की चहारदीवारी तक बंध कर रह गए थे, कुछ लोगों को वर्क फ्राॅम होम का अनुभव हुआ और कुछ लोगों की रोजी रोटी भी छिन गई। इस पूरे समय का लोगों के जीवन पर सकारात्मक के साथ ही साथ नकारात्मक असर भी हुआ।
सकारात्मक पहलू ये रहा कि आज की दौड़ भाग की ज़िन्दगी में जब हम खुद को या फिर अपने अपनों को समय नहीं दे सकते थे ऐसे में हमें उनके साथ समय बिताने का भरपूर समय मिला। शायद हमें याद नहीं कि इसके पहले कभी हमारे जीवन में इतना समय घर में एक दूसरे के साथ रहकर बिताने का मौका मिला हो। सभी ने खाली समय में अपनी रचनात्मक प्रतिभा को निखारने का काम किया, बहुत से शौक जो हम समय की कमी से पूरे नहीं कर पा रहे थे उनको पूरा किया।
इस महामारी काल का नकारात्मक पहलू भी हमारे सामने आया। लाॅकडाउन के कारण बहुतों की रोज़ी रोटी छिन गई, गरीब मजदूरों के जीवन में बेकारी और भूखमरी की नौबत आ गयी। हालांकि सरकार ने भरसक कोशिशें की फिर भी हालात बेकाबू हो गए थे। इसके अलावा बहुत से लोगों को घरों में कैद रहने के कारण मानसिक तनाव जैसी स्थिति हो गई। वृद्ध और बीमार लोगों की इलाज के आभाव में स्थिति बिगड़ने लगी। ऐसा ही एक दुःखद अनुभव मेरा भी रहा। मेरे पापा जी की तबियत गड़बड़ हो गई थी लेकिन कोविड की निगेटिव रिपोर्ट के बिना किसी भी अस्पताल में दाख़िला ना मिलने के कारण हमने उन्हें खो दिया। अगर वो समय से एडमिट हो जाते तो शायद आज हमारे बीच होते। इस बीमारी ने हमें अपनों से व्यावहारिक रूप से अलग थलग कर दिया, क्योंकि किसी भी जरूरत पर हम उनके साथ खड़े नहीं हो सकते थे। जिसका कारण कोविड संक्रमण का डर था।
जब मुश्किल थे हालात, तकनीक ने थामा हाथ: इन मुश्किल हालातों में विकसित तकनीक ने हमारा बहुत साथ दिया। सोशल मीडिया के माध्यम से हमें कोविड संक्रमण के लक्षण, सावधानियां और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के उपाय जिसके कारण हम संक्रमण से बच सकते हैं, सभी के विषय में जानकारियां मिलती रहीं। हालांकि इसके कारण कई गलत जानकारियां भी लोगों तक पहुंची। किंतु अधिकांशतः फायदेमंद उपचार ही लोगों को मिले। जो सभी के लिए लाभप्रद रहे।
जो लोग Work from home कर रहे थे, या स्कूल, काॅलेज की online classes सभी सोशल मीडिया के माध्यम से सम्भव हुई। सोशल मीडिया ने ही हमें अपने से दूर रहने वाले सगे संबंधियों को Voice or video call के ज़रिए एक दूसरे से बांधे रखा। इस कोरोना काल में सोशल मीडिया ने तमाम नयी प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने में मदद की। बहुत सी छुपी प्रतिभाएं इस काल और सोशल मीडिया के कारण ही निकल कर सामने आई। वैसे तो ये पूरा वर्ष बेहत खराब परिस्थितियों में बीता, बहुत सारी दुश्वारियों और चुनौतियों से भरा साल। फिर भी हमने अपना संयम बना कर इन कठिन चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना किया और उससे निकलने का प्रयास किया, जिसमें काफी हद तक सफल भी रहे। इस वर्ष की महत्वपूर्ण उपलब्धि जीवन में मिले “नये अनुभव और नयी सीख” थी। अब आने वाले साल में यही उम्मीद करते हैं कि इस महामारी का प्रकोप पूरी तरह दुनिया से खतम हो जाए। एक नये जोश और विश्वास के साथ हम सब स्वस्थ और खुशहाल ज़िदगी की तरफ कदम बढ़ाएं।
“जोश नये, उम्मीद नयी संग, नये साल में आए हैं,
अब ना होगी कोई बाधा, सपने यही सजाए हैं।”
(लेखिका ब्लॉगर एवं फ्रीलांस राइटर है)