
मेरे प्यारे,
कुत्ता भाइयो!
तुम सो रहे हो,
अपना भविष्य खो रहे हो।
हम तुम्हें जगाने आए हैं,
तुम्हारी नींद भगाने आए हैं।
नसीहतें मानते रहो,
चैन से सोना है तो जागते रहो।
एक आवाज आई
सो कहां रहे हैं?
हम सभी परिवार के साथ
तुम्हारा भाषण ढो रहे हैं।
शटअप!
तुम लोग बहुत बोलते हो,
इधर-उधर डोलते हो।
जहां हो, वहां बैठे रहो,
चुपचाप नसीहत लेते रहो,
मुंह सीकर गुनते रहो,
हमारा भाषण सुनते रहो।
हां तो भाइयो!
हमारे यहां अभूतपूर्व,
इमरजेंसी लगा दी गई है,
अत्याचारों की आंधी चला दी गई है।
हमारी दुम दबा दी गई है,
भूंकने पर पाबंदी लगा दी गई है।
सुख की हर घड़ी बीन ली गई है,
जीने की आजादी छीन ली गई है।
सभा से पुनः आवाज आई
नादानी कर रहे हो भाई,
गलतबयानी कर रहे हो भाई।
हम अपने-अपने इलाके में,
रात-रात भर,
पूरी आजादी से घूमते हैं,
फुल वॉल्यूम में,
‘कूकुर ऑरकेस्ट्रा’ ठोंकते हैं।
बीच-बीच में इच्छानुसार
दिल बहलाते हैं,
वाहनों के पहियों को
सुगंधित तरी पहुंचाते हैं।
खामोश!
फिर बोल रहे हो,
अपना मुंह खोल रहे हो।
लगता है, तुमने
उस नमक को भुलाया है,
जो बरसों से मालिक ने
हमें खिलाया है।
मत भूलो,
हमारे मालिक ने हमें
गोरा-गोरा तलुआ चटाया है,
कभी-कभी प्यार से
अपना गलुआ भी चटाया है।
केसरिया दूध के कटोरे पिलाकर
कीमती मांस के लोथड़े खिलाकर
हमें इस योग्य बनाया है
कि मालिक के इशारे पर
हम भूंक सकें,
राष्ट्रभक्तों पर थूक सकें।
कुत्ता भाइयो!
हमसे मालिक का दुख
सहा नहीं जा रहा है,
उसे कूड़ेदान में पड़ा
देखा नहीं जा रहा है।
हमें पूरी वफादारी निभाना है,
मालिक को
वहां से उठाना है,
उसे फिर से कुरसी पर बिठाना है।
आओ,
मालिक के दुश्मनों के खिलाफ
घटिया तमाशे करें,
नई-नई साजिशें करें।
गढ़कर फर्जी खुलासे करें।
सच्चाई का काम तमाम करें,
ईवीएम को बदनाम करें।
हमारे मालिक फिर से हों आबाद,
बोलो- मालिक जिंदाबाद!
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