Shyam Kumar
श्याम कुमार

मम्मी अब कुरसी दिलवा दो।

खड़े-खड़े मैं ऊब गया हूं,
कड़ी धूप में सूख गया हूं।
तुम तो हो हर फन में माहिर,
सभी कलाओं में हो शातिर।
तुम मेरी बिगड़ी बनवा दो,
कुछ काला जादू करवा दो।

मम्मी अब कुरसी दिलवा दो।

पैरों पर गिरते थे मेरे,
गायब हैं सब चमचे मेरे।
मन में रहती है यह उलझन,
कैसे रहूं रिआया के बिन।
राजघराने का वंशज हूं,
एक बार राजा बनवा दो।

मम्मी अब कुरसी दिलवा दो।

कब तक मैं यूंही टहलूंगा,
रटा-रटाया ही बोलूंगा।
रंग नहीं कोई जीवन में,
खलती है तनहाई मन में।
अब कोई साथी दिलवा दो,
प्लीज मेरी शादी करवा दो।

मम्मी अब कुरसी दिलवा दो।

खड़ी हो गई खटिया मेरी,
डूब गई है लुटिया मेरी।
कॉमन बनकर रहना मुश्किल,
बैठा जाता है मेरा दिल।

नानी का घर बचा ठिकाना,
मॉम वहीं मुझको पहुंचा दो।
‘श्याम’ मेरा वीजा बनवा दो।
भूखा हूं, पिज्जा खिलवा दो।
मम्मी अब कुरसी दिलवा दो।

इसे भी पढ़ें: ओ गॉड!

इसे भी पढ़ें: गजब दीवाने

Spread the news