Love Jihad: उत्तर प्रदेश में लव जिहाद की घटनाएं निरन्तर बढ़ रही हैं। यह कहानी एक जिले या नगर की नहीं है। उत्तर प्रदेश ऐसा अकेला प्रदेश भी नहीं है जहाँ लव जिहाद चरम स्थिति पर न पहुँच चुका हो। दक्षिण भारत के अनेक राज्य लव जिहाद के बल पर मुस्लिम बहुल होते जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश में यह अभियान इतने सुनियोजित ढंग से चल रहा है कि सरकारी एजेंसियां विशेषत: पुलिस और न्याय प्रणाली आधे-अधूरे विधिक प्रावधानों के कारण पंगु बनी हैं। उत्तर प्रदेश के बरेली जिला न्यायालय ने लव जिहाद को भारत की सनातन संस्कृति के लिए बहुत गम्भीर संकट बताया है। ऐसे मामलों की भरमार के कारण न्यायालय द्वारा माना गया है कि लव जिहाद के माध्यम से भारत में भारत के ही सांस्कृतिक स्वरूप का रूपान्तरण किया जा रहा है।
लव जिहाद के पीछे कितनी शक्तियां लगी हुई हैं यह अनुमान लगाना किसी के लिए आसान नहीं है। इतना स्पष्ट है कि इस्लामी संगठनों के सूत्रधारों के सुनियोजित षडयन्त्र के अन्तर्गत हिन्दु लड़कियों के साथ जघन्य अपराध हो रहा है। जो शक्तियां इस षडयन्त्र में सम्मिलित हैं उनके बीच ऐसा तालमेल है कि सरकारी तन्त्र इसे विफल करने में असफल हो रहे हैं। हिन्दू लड़कियों के मतान्तरण की दृष्टि से यह षडयन्त्र इस्लाम के फैलाव के लिए बहुत प्रभावी सिद्ध हो रहा है।
हिन्दू समाज अपनी दुर्बलता के कारण गम्भीर उलझाव में फंसा हुआ है। ऐसे हिन्दु परिवार जहाँ संस्कारों का अभाव है और बेटियों की देखभाल ठीक प्रकार से नहीं हो रही वह इस कुचक्र में फंस रहे हैं। शेष समाज के लोग मूक दर्शक बने हैं। राजनीति में डूबे लोगों को अपने हित के अतिरिक्त कुछ नहीं सूझता। इसके विरुद्ध कोई आवाज बुलन्द नहीं करता। लव जिहाद के लिए मुसलिम युवकों को हिन्दु युवकों की तरह सज धज कर अपना शिकार ढूंढने के लिए प्रेरित किया जाता है। ऐसे युवकों के हाथों पर भगवा कलावा ही नहीं कई बार गेरुवा पटके कन्धों पर देखे जाते हैं। विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, बस्तियों और बाजारों में चमक दमक के साथ निकले ऐसे युवक राह चलती हिन्दू लड़कियों पर डोरे डालते हैं। कई दिनों तक पीछा करके, प्रीति दर्शाकर उनके फोन नम्बर पा लेते हैं।
चन्द दिनों में अपनी बाइक पर उन्हें घुमाना, उनकी इच्छाओं के अनुरूप शापिंग कराना, महंगे फोन और कपड़े दिलवाना पहला चरण है। इन मुस्लिम युवकों को इस काम अर्थात लव जिहाद के लिए बड़ी मात्रा में धन कौन उपलब्ध कराता है। जब कभी किसी विधिक संजाल में ये फंस जाते हैं तब उनकी पैरवी कौन करता है। यह ऐसी कड़ी हैं जिसका रहस्य पता करके सूत्रधारों तक पहुँचा जा सकता है। चंगुल में फंसी हिन्दू लड़कियों को ऐसे युवक शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए गुप्त स्थानों पर ले जाते हैं। एक बार ऐसा होने पर लड़की की विवशता भांप के तीसरा चरण प्रारम्भ हो जाता है। तब ऐसे युवक लड़की को अपनी वास्तविक पहिचान बता कर इस्लाम स्वीकार करने के लिए बाध्य करते हैं।
उन्हें डराया जाता है कि यदि इस्लाम स्वीकार नहीं किया तो उनका जीवन बर्बाद कर दिया जाएगा। यह ऐसी कड़ी है जिस पर सरकार मतान्तरण सम्बन्धी कठोर विधान बनाकर रोक लगा सकती है। पर अब तक मतान्तरण विरोधी विधान उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में भी कड़ाई के साथ लागू नहीं हो सका। जब कभी कोई लड़की इस तर्कके साथ न्यायालय में प्रस्तुत की जाती है कि उसका मतान्तरण हो चुका है। इसलिए वह मुस्लिम पुरुष से निकाह कर सकती है। तभी यह प्रश्न किया जाना प्रासंगिक होगा कि मतान्तरण के लिए विधिक अनुमति कब और किसने दी। मतान्तरण रोकना ही लव जिहाद का वास्तविक उपचार है। लड़की को डराया जाता है कि उसके ऐसे चित्र वायरल किये जाएंगे जिससे सारी छवि नष्ट हो जाएगी।
अधिकांश हिन्दू लड़कियां इस चरण से बाहर निकलने के लिए छटपटाती हैं। अनेक बार उन्हें शारीरिक प्रताड़ना सहनी पड़ती है। मारपीट के दौर इन्हें तोड़ देते हैं। इतना ही नहीं अनेक लड़कियों को सामूहिक दुष्कर्म की परिस्थिति में उलझा कर मतान्तरण की ड्योढी लघायी जाती है। प्रेम के भ्रम जाल में उलझा कर फिर प्रताड़ना देकर फंसायी गयी लड़कियों को निकाह के माध्यम से हिन्दू परिवार से विलग कर दिया जाता है। आखिरी चरण बहुत आश्चर्य जनक है। निकाह के उपरान्त लड़की अपने माँ-बाप के घर भेज दी जाती है। दूसरी ओर मुसलिम युवक न्यायालय में अपनी पत्नी की वापसी के लिए आवेदन करता है। दावा करता है कि माँ-बाप द्वारा उसकी विवाहिता को बलात घर में बन्दी बनाकर रखा गया है।
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न्यायालय से नोटिस जाती है। ऐसी लड़की के मन इतना भय व्याप्त होता है कि वह न्यायाधीश के समक्ष स्वीकार करती है कि उसकी मर्जी से न केवल उसका मतान्तरण हुआ है अपितु उसने अमुक मुस्लिम से स्वेच्छा पूर्वक निकाह कर लिया है। हिन्दू लड़की की न्यायालय में इस स्वीकारोक्ति परमाँ-बाप निरुत्तर हो जाते हैं। हिन्दू समाज में पराये युवक के साथ सम्बन्ध बनाने वाली लड़कियों को फिर से अंगीकार करने की बाधाएं बहुत कुछ दूर हो चुकी हैं। पर अभी ऐसे परिवारों की हिचक संकट में फंसी लड़कियों की राह बन्द कर देती है। न्यायालय से मतान्तरण और निकाह की पुष्टि होने के साथ मुसलिम युवक पर लव जिहाद का मामला नहीं बनता। उलटे उसके द्वारा अपनाये गये षडयन्त्र को विधिक प्रमाण पत्र प्राप्त हो जाता है।
इस घटनाक्रम के बाद हिन्दू से मुसलमान बनी लड़की के वास्तविक नारकीय जीवन की शुरुआत होती है। जिस युवक ने उसे प्रेमजाल में उलझाया वह स्वयं अथवा अपने पीछे सक्रिय लोगों के दबाव में उसे तलाक दे देता है। तलाक देने के बाद उस लड़की को किसी अन्य के साथ बेच दिया जाता है। कई बार ऐसी लड़कियां जब किसी कन्या को जन्म देती हैं तो उन पर अत्याचारों का पहाड़ टूट पड़ता है। ऐसे घिनौने अन्त की अनेक कहानियां उदाहरण के रूप में उपलब्ध हैं। फिर भी लव जिहाद के चंगुल में हिन्दू लड़कियों के फंसने का क्रम बन्द नहीं हो रहा। हिन्दू समाज विशेषत: लड़कियों और उनके माँ-बाप की जागृति के बिना इसे रोकना दुष्कर है। परन्तु समाज की लाचारी मानकर यदि सरकारें मौन साधे रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब भारत को मुसलिम राष्ट्र बनाने का सपना देख रहे षडयन्त्रकारी और सक्रियता दर्शा कर शेष समाज पर भारी पड़ेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
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