Prayagraj: मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के डॉक्टर भारती गोरे ने कुंवर चंद्र प्रकाश को शिल्पी कवि बताया। उन्होंने कहा, हिंदी साहित्य में उनकी घनघोर उपेक्षा हुई है। लेकिन अब समय आ गया है कुंवर की कविताएं और उनके नाटक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में लगेंगे। इसके साथ ही उन पर शोध होंगे। कुंवर की रचनाओं पर आलोचना ग्रंथ लिखे जाएंगे जिससे पूरा हिंदी समाज कुंवर की प्रतिभा को पहचानेगा। यह बातें उन्होंने महाकवि कुंवर चंद्रप्रकाश सिंह पर त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में कहीं।
उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के अटल सभागार में महाकवि कुंवर चंद्रप्रकाश सिंह पर त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। दूसरे दिन कई महान साहित्यकारों ने अपने विचार रखे। संगोष्ठी के दूसरे दिन “छायावादी गीत एवं कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह की गीत-सृष्टि” का विषय रहा। यहाँ पर वरिष्ठ अधिवक्ता एवं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया शशि प्रकाश सिंह ने वाचिक स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे मुम्बई विवि के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. दत्तात्रेय मुरुमकर ने अपने विचार रखें। उन्होंने कहा, महाकवि कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह छायावाद ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय संस्कृत विकास धारा के बड़े कवि हैं। ऐसे में हिंदी साहित्य में उन्हें सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया जाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि आचार्य डॉ. दीपेंद्र सिंह जडेजा हिंदी विभाग एमएस विश्वविद्यालय बड़ौदा ने कहा कि महाकाल कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह का अध्यापन एवं साहित्य यात्रा इसी विश्वविद्यालय से आरंभ हुई थी, और विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में आज भी उनका स्थान बना हुआ है।
राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के निदेशक प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी ने कहा, कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह को समता, ममता, सामाजिक सौहार्द का कवि बताया। उन्होंने कहा, निराला के अतिरिक्त बमुश्किल ही कोई ऐसा कवि देखने को मिलता है, जिसने काव्य की परंपरा को शीर्ष पर पहुंचाया हो। सभागार में बीएचयू हिंदी के पूर्व आचार्य डॉक्टर प्रभाकर सिंह, इलाहाबाद विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के डॉक्टर अमरेंद्र त्रिपाठी, डॉ. ऊषा पाठक, डॉ. माधुरी यादव, समीक्षक प्रोफेसर शिवमोहन सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉक्टर अलका पांडे, सागर विश्वविद्यालय से डॉ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी सहित सभी विद्वानों ने महाकवि कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर हिमानी सिंह और डॉक्टर गजेंद्र सिंह भदौरिया ने किया। इस अवसर पर मीडिया प्रभारी और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता उमेश कुमार सिंह के साथ मनोज कुमार सिंह, शीतला प्रसाद गौड़, विवेक कुमार सिंह, भक्ति वर्धन सिंह, पूर्णेदु सिंह, विनय सिंह, कुलदीप कुमार, कृष्णा अग्रवाल, अखिलेश मिश्र गांधी, आशीष कुमार सहित बड़ी संख्या में अनेक विश्वविद्यालयों से आए साहित्यकार, समीक्षक और शोध छात्र उपस्थित रहे।
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