आचार्य विष्णु हरि
फेसबुक पर एक भी हिन्दुत्व का प्रहरी नहीं है। हिन्दुत्व के रूप में जो अपने आप को प्रस्तुत करते हैं, उनका प्रोफाइल देख लीजिये, उनकी पोस्ट देख लीजिये, फिर आपको स्पष्ट हो जायेगा। सिर्फ अपवाद में नगण्य संख्या में हिन्दुत्व के प्रहरी हैं। ऐसी स्थिति सिर्फ फेसबुक पर नहीं है, बल्कि सभी क्षेत्रों में है।
अगर कोई दुराचरी ब्राम्हण है, अगर कोई शराबी, कबाबी ब्राम्हण है, अगर कोई सनातन विरोधी ब्राम्हण है, अगर कोई राष्ट्रद्रोही ब्राम्हण है तो हिन्दुत्व की बात करने वाला ब्राम्हण भी खामोशी धारण कर लेता है। इसी तरह क्षत्रिय और अन्य जातियों का भी हाल है। क्षेत्रवाद का जब प्रश्न आता है, तब हिन्दुत्व का प्रश्न गौण कर दिया जाता है। हिन्दूवादी संगठनों पर कब्जा जमाये लोग भी सिर्फ अपनी जाति की भलाई और उत्थान में हिन्दुत्व को हथकंडा बनाते हैं।
हिन्दुत्व के नाम पर दुकानदारी ही चल रही है। फेसबुक और राजनीति में हिन्दुत्व का बाजा बजाने वाले सभी फर्जी और अवसरवादी हैं। मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के राज्य के समय में हिन्दू आतंकवाद का बाजा बजाने वाले लोग और समर्थक भी आज हिन्दुत्व के प्रहरी बन बैठे हैं। भगवान राम के अस्तित्व को नकराने वाली कांग्रेस की सरकार का विरोध कितने लोग किये थे? ये सभी नरेन्द्र मोदी की सरकार के लाभार्थी बनने के लिए हिन्दुत्व के प्रहरी बन गये हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे लोग भाजपा सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर बैठ भी गये हैं।
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यही कारण है कि गुजरात दंगों में हिन्दुओं के कत्लेआम, नूंह दंगा, पश्चिम बंगाल, मणिपुर में हिन्दुओं का उत्पीड़न और देश भर में सैकड़ों हिन्दू एक्टिविस्टों की हत्या के बाद भी कोई महत्वपूर्ण आवाज नहीं उठी। फेसबुक पर लाखों लोग हिन्दुत्व की बात करते हुए नजर आयेंगे पर सड़कों पर उतरकर विरोध करने के लिए दस हिन्दू भी जमा नहीं होते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)
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