Russia-Ukraine war: रूस और यूक्रेन का युद्ध लंबा हो चला है। इस युद्ध में अब तक व्यापक नुकसान हुआ है। दोनों देशों के बीच जारी युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। दोनों देशों के बीच शांति बहाली दुनिया के लिए जरूरी हो गया है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए यूक्रेन में शांति के लिए सऊदी अरब में महामंथन शुरू हो गया है। भारत, चीन, अमेरिका समेत 40 देशों के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) इस मंथन में हिस्सा लिया। वहीं रूस को इस मीटिंग में नहीं बुलाया गया है। बैठक में भारत की तरफ से नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल शामिल हुए। उन्होंने रूस और यूक्रेन पर बात करते हुए कहा कि हमने दोनों से ही नियमित रूप से बातचीत की है। दोनों देशों के बीच जारी युद्ध का खामियाजा पूरी दुनिया और खासतौर पर ग्लोबल साउथ भुगत रहा है। उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन को मानवीय मदद कर रहा है। पश्चिम के दबाव के बावजूद दोनों देशों के बीच जारी युद्ध पर भारत का स्टैंड न्यूट्रल रहा है।
अजीत डोभाल ने कहा कि भारत यूएन चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों पर आधारित वैश्विक व्यवस्था के पक्ष में है। क्षेत्रीय संप्रभुता और अखंडता का सम्मान होना चाहिए। हालांकि बैठक में रूस को बातचीत के लिए शामिल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि युद्ध रोकने का हल निकालने के लिए सभी हितधारकों को शामिल कर शांति की कोशिशों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। भारत ने इसी भावना के साथ मीटिंग में हिस्सा लिया है। उन्होंने कहा, भारत हमेशा से बातचीत और कूटनीति को तरजीह देता रहा है और आगे जारी रखेगा। शांति के लिए आगे बढ़ने का यही एकमात्र रास्ता भी है।
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एनएसए डोभाल ने आगे कहा कि कुछ पीस प्लान भी सामने आए हैं, लेकिन इससे दोनों पक्ष संतुष्ट नहीं हैं।उन्होंने कहा कि चीन और हाल ही अफ्रीकी नेताओं ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को एक शांति प्रस्ताव सौंपा था। इसपर पुतिन ने सहमति जताते हुए कहा कि शांति पर बातचीत का इसे एक आधार बनाया जा सकता है। अफ्रीकी नेताओं की मांग थी कि पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट को खारिज किया जाना चाहिए। साथ ही कब्जे वाले क्षेत्रों पर रूस के कब्जे को मान्यता देने की बात कही गई, जिसपर यूक्रेन सहमत नहीं है। हालांकि पुतिन ने चीनी प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी थी।
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