Manipur Violence: मणिपुर में लंबे समय से जारी हिंसा की तपिश अब पूरे देश में महसूस की जा रही है। यहां से आ रही घटनाओं के वीडियो मानवता को शर्मसार करने वाले तो हैं ही, साथ में सरकार की मजबूरी, बेबसी व लाचारी को भी बयां कर रहे हैं। क्योंकि मणिपुर (Manipur Violence) की यह समस्या कोई नई नहीं है, यह लंबे समय से चली आ रही है, जो अब नासूर बन चुकी है। समय का तकाजा है कि इस नासूर का उचित इलाज किया जाए, लेकिन विपक्षी दल मुश्किल वक्त में सरकार का साथ देने की जगह स्थिति को और भयावह बनाने में जुटे हैं। इसके लिए पूरी टीम काम कर रही है, जो नेताओं के इशारे पर काम कर रही है। शायद यही कारण रहा है कि संसद का सदन सत्र शुरू होने के एक दिन पहले आदिवासी महिलाओं के साथ किए गए दुर्व्यहार का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। वीडियो वायरल होने के बाद देश में सरकार के खिलाफ जो गुस्सा दिख रहा है, विपक्षी दलों के लिए उससे खाद-पानी मिल रहा है। फिलहाल राज्य में इंटरनेट शुरू होते ही इस तरह के वीडियो वायरल करने वाले गैंग फिर सक्रिय हो गए हैं।
वीडियो वायरल न हो इससे यह नहीं कहा जा सकता कि राज्य में कुछ नहीं हुआ। मणिपुर (Manipur Violence) में जो हुआ है और जो हो रहा है, वह कल्पना से परे है। ऐसी हिंसा में शामिल लोगों को इंसान कहना भी मानवता की तौहीन करना होगा। ऐसे लोगों को सरेआम गोली मार देना चाहिए, लेकिन हमारा संविधान इसकी इजाजत नहीं देता। संविधान मणिपुर में जो हो रहा है, उसकी भी इजाजत नहीं देता, मगर वहां आराजकता का नंगा नाच खेला जा रहा है। विपक्ष दोनों तरह से ही सरकार को घेरने की कोशिश में लगा हुआ है। सरकार संवैधानिक तरीके से काम कर रही है, लेकिन इस तरीके से आदिवासियों को सुरक्षा दे पाना मुश्किल है और यही हो भी रहा है। मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) में शामिल लोगों पर सरकार अगर दमनकारी नीति अपनाती है, तो भी यही विपक्ष सड़क पर नंगा नाच करते हुए मानवाधिकार का दुहाई देता नजर आएगा। क्योंकि इससे पहले यह सब हो चुका है। मणिपुर से सेना को हटाने के लिए कितने प्रदर्शन हुए हैं, उसको अधिकतर लोग जानते हैं।
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फिलहाल मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यहार का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आ गई है। वायरल वीडियो के आधार पर आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। वहीं सोशल मीडिया के जरिए माहौल बिगाड़ने में जुटे लोग ऐसे वीडियो मणिपुर में नाम से वायरल कर रहे हैं, जो दूसरे देशों की है। पुलिस के सामने आरोपियों को पकड़ने के साथ वीडियो वायरल करने वाले गिरोह पर नजर रखने की कड़ी चुनौती है। हालांकि पुलिस ऐसे कुछ ग्रुपों का चिन्हित कर उन पर पैनी नजर रख रही है।
हिंसा रोकने की तैयारी पूरी
जानकारी के मुताबिक, मणिपुर हिंसा मामले में अब तक 6000 से अधिक FIR दर्ज की गई हैं, जिनमें 70 मुकदमे हत्या से जुड़े हैं। वहीं करीब 700 लोगों को हिरासत में लिया गया है। राज्य में सुरक्षा के लिहाज से पैरा मिलिट्री की 123 कंपनियां तैनात की गई हैं। इनमें 62 कंपनियों के 6 हजार 200 CRPF के जवान तैनात हैं। इसके अलावा 12 हजार अतिरिक्त अर्धसैनिक बल की तैनाती की गई है। मणिपुर पुलिस भी 24 घंटे निगरानी कर रहे हैं। इसके बावजूद भी प्रदेश की सरकार के साथ केंद्रीय सुरक्षाबल मणिपुर में शांति बहाली में नाकाम साबित हुए हैं। बता दें कि मणिपुर में मैतेई और कुकी व नगा समुदाय के बीच संघर्ष चल रहा है।
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