आचार्य विष्णु हरि सरस्वती
नरेन्द्र मोदी के अमेरिका दौरे पर मुस्लिम परस्ती का जैसा नंगा नाच हुआ वह दुनिया के लिए खतरे से कम नहीं है और अमेरिका के लिए मौत का फंदा साबित होगा। अमेरिका चाहे जितना उदासीनता बरत लें, अमेरिका चाहे जितना भी नजरअंदाज कर लें पर आज न कल उसे उसकी खतरनाक ही नहीं बल्कि संप्रभुत्ता हनन की कसौटी पर कीमत तो चुकानी ही होगी। मुस्लिम परस्ती को खाद-पानी देकर लहराने का जेहाद कर जो गढ्ढा अमेरिका खोद रहा है, उस गढ्ढे में भारत-इजरायल ही नहीं बल्कि अमेरिका खुद गिर कर दफन हो जायेगा। ठीक उसी तरह जिस तरह वह कभी इस्लामिक आतंकवाद को फिर से जन्म देकर, उसे पाला-पोशा, सोवियत संघ के खिलाफ अफगानिस्तान में हथकंडे की तरह इस्तेमाल किया। इतना ही नहीं बल्कि उसने ओसामा बिन लादेन को इस ख्याल से पाला पोशा और स्थापित किया कि वह उसका हथकंडा और तोता बना रहेगा।
लेकिन अमेरिका को ओसामा बिन लादेन किस प्रकार से भारी पड़ा, यह किसको नहीं मालूम है? ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका पर हमला कर उसके गर्व और समृद्धि के प्रतीक वर्ल्ड ट्रेड टावर को न केवल ध्वस्त करवा दिया बल्कि हजारों लोगों को मौत का घाट उतार दिया था। उस ओसामा बिन लादेन को मारने और अलकायदा को समाप्त करने के लिए खरबों मिलियन डॉलर खर्च करना पड़ा, हजारों अमेरिकी सैनिक मारे गये, अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी चरमरायी। ऐसी व इतनी बडी कीमत इतिहास में और किसी देश ने नहीं चुकायी थी। ऐसी मूर्खता अमेरिका जैसे देश ही कर सकता हैं।
मुस्लिम परस्ती कितनी खतरनाक है, कितनी जहरीली है, कितनी संप्रभुत्ता हनन वाली है, कितनी भविष्य हनन वाली है उसका अध्ययन भी जरूरी है, पड़ताल भी जरूरी है, विश्लेषण भी जरूरी है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि अमेरिका की संप्रभुत्ता पर आधारित चाकचौबंद समीक्षा भी जरूरी है। सबसे पहले हम नरेन्द्र मोदी के दौरे की कसौटी पर पड़ताल कर लें। नरेन्द्र मोदी के अमेरिकी दौरे में विरोध के नाम पर मुस्लिम परस्ती का नंगा नाच खेला गया, नंगा नाच सिर्फ अमेरिका के लोगों ने ही नहीं देखा, बल्कि दुनिया के सभ्य देशों के सभ्य नागरिकों ने भी देखा। भारत और इजरायल के लोगों ने खास तौर पर देखा, क्योंकि मुस्लिम परस्ती का सबसे ज्यादा शिकार और निशाना तो भारत और इजरायल ही है। मुस्लिम परस्ती भारत और इजरायल को सबसे ज्यादा शिकार व पीड़ित करती है। भारत और इजरायल के खिलाफ सिर्फ अमेरिका में ही मुस्लिम परस्ती नंगा नाच नहीं करती है बल्कि पूरे यूरोप में भी करती है।
नरेन्द्र मोदी के दौरे का विरोध करने के लिए मुस्लिम सड़कों पर उतर गये, विरोध प्रदर्शन ही नहीं बल्कि तेजाबी और विनाशकारी बयानबाजी-भाषणबाजी के साथ ही साथ प्रदर्शनीबाजी भी खूब हुई। बराक ओबामा भी मुस्लिम परस्ती का हथकंडा बन गये। बराक ओबामा के अंदर भी मुस्लिम परस्ती के कीटाणू काटने लगे। बराक ओबामा अफ्रीकी मुस्लिम है। शरणार्थी के तौर पर अमेरिका आया। राष्ट्रपति बनने के लिए बराक ओबामा ने अपने आप को ईसाई घोषित कर दिया और अमेरिकी संप्रभुत्ता का गुणगान करने लगा। अमेरिकी संप्रभुत्ता की नाटकबाजी कर राष्ट्रपति बन गया। पर उसकी मुस्लिम परस्ती गयी नहीं। नरेन्द्र मोदी पर उसने मुसलमानों के साथ नकारात्मक व्यवहार का आरोप जड़ दिया और भारत को खतरनाक देश घोषित कर दिया।
बराक ओबामा का बयान मुस्लिम परस्ती के जिहादी लोगों के लिए खाद व पानी का काम किया और मुस्लिम परस्ती लहलहाने लगी। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण अखबार का पत्रकार सबरीना सिद्धिकी ने प्रेस कांन्फेंस में मुस्लिम प्रताड़ना की झूठी खबर फैलायी, उसने कह दिया कि भारत मुस्लिमों का संहार कर रहा है। हालांकि नरेन्द्र मोदी ने बड़ी बहादुरी के साथ बराब ओबामा को भी आईना दिखाया, सबरीना सिद्धिकी सहित उन सभी को भी आईना दिखाया जो मुस्लिम परस्ती का नंगा नाच करने में लगे हुए थे। नरेन्द्र मोदी ने बहादुरी के साथ कह दिया कि हमारी संस्कृति किसी को नष्ट करने, विध्वंस करने और प्रताड़ित करने के लिए नहीं है, हमारी संस्कृति सभी के बीच पारस्पर संबंध विकसित करने और सामनता स्थापित करने की है। नरेन्द्र मोदी का उत्तर सुनकर जहां दुनिया के मुस्लिम परस्ती से शिकार लोगों को खुशी हुई वहीं मुस्लिम परस्ती के इस हथकंडे की हवा भी निकल गयी।
भारत में राष्ट्रवादी सरकार को मुस्लिम परस्ती स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, पचा पाने के लिए तैयार नहीं है। मुस्लिम परस्ती उन सभी सरकारों को पचा नहीं पाती है जो राष्ट्रवादी विचारों से उत्पन्न हुई होती है। आप उदाहरण देख लीजिये। उदाहरण एक नहीं है बल्कि अनेक हैं। पहला उदाहण तो भारत ही है, दूसरा उदाहरण अमेरिका भी था, अमेरिका में जब डोनाल्ड ट्रम्प का शासन था तब मुस्लिम परस्ती इस तरह का नंगा नाच करती थी और खेल करती थी।
तीसरा उदाहरण ब्रिटेन हैं, ब्रिटेन में जब टोनी ब्लेयर का शासन था तब मुस्लिम परस्त गिरोह इसी तरह का नंगा नाच करता था। इजरायल में राष्ट्रवादी सरकार का लगातार मुस्लिम परस्ती विरोध करती है, अफवाह फैलाती है, अपने आतंकवाद व हिंसा को कवच पहनाती है, पर्दा डालती है, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि मुस्लिम परस्ती अपने आप को पीड़ित भी घोषित कर देती है। फ्रांस और आस्टेलिया की राष्ट्रवादी सरकारों के खिलाफ भी इसी तरह की मुस्लिम परस्ती सक्रिय रहती है।
भारत में उल्टा खेल जारी है। यहां पर बहुंसंख्यक ही प्रताड़ित हैं, संवैधानिक तौर पर भी अपाहिज हैं। कश्मीर से हिन्दुओं को खदेड़ दिया गया, हजारों कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या कर दी गयी, केरल और पश्चिम बंगाल से हिन्दुओं को भगाया जा रहा है। बिहार और असम में घुसपैठिये मुसलमानों के सामने सरकार की सभी ईकाइयां चरणवंदना की भूमिका में होती है। भारत में जितना सुरक्षित और अधिकार सपंन्न मुसलमान हैं उतना विश्व के और देशों में हैं क्या? भारत में मुसलमान चार शादी कर सकते हैं, अपनी शिक्षण संस्थाओं में अपने मजहबी हिंसक ग्रंथ की शिक्षा दे सकते हैं पर हिन्दूओं को ऐसा अधिकार नहीं है। मुस्लिम देशों में मुसलमान इस्लाम के नाम पर ही गाजर-मूली की तरह काटे जा रहे हैं। क्या ऐसी स्थिति अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सीरिया, लेबनान और नाइजिरिया आदि मुस्लिम देशों में नहीं हैं? पर अमेरिका की मुस्लिम परस्ती मुस्लिम देशों में इस्लाम के नाम पर गाजर-मूली की तरह मुसलमानों के काटे जाने पर प्रश्न खड़ा नहीं करती है।
डेविड हेडली और गुलाम फई की करतूत को अमेरिका याद रखना क्यों नहीं चाहता है? इन दोनों पाकिस्तान मूल के अमेरिकी नागरिकों ने अमेरिकी की संप्रभुत्ता व हित के सामने अपनी मुस्लिम परस्ती को ही स्थापित किया था। बराक ओबामा हो या फिर सबरीना सिद्धीकी, इन सभी की असली राष्ट्रीयता इस्लाम है न कि अमेरिका की संप्रभुत्ता। ये कहने के लिए अमेरिकी नागरिक हैं पर इनका समर्थन, निष्ठा और सक्रियता हमेशा इस्लाम के साथ है। सबरीना सिद्धीकी पाकिस्तानी मूल की है, फिर भी वह भारतीय मुसलमानों के लिए मुस्लिम परस्ती दिखाती है, इसलिए कि भारतीय मुसलमानों उनके मजहब के हैं। एक तथ्य यह भी जान लीजिये। जब डोनाल्ड ट्रम्प और हिलेरी क्लिंटन के बीच राष्ट्रपति चुनाव में तेज अभियान चल रहा था उस समय अमेरिका के मस्जिदों से सरेआम अजान में कहा जा रहा था कि इस्लाम खतरे में है, इस्लाम को बचाने के लिए हिलेरी क्लिंटन को वोट और समर्थन दें। हालांकि मस्जिदों ऐसी अपीलें नाकाम हो गयी थीं और अमेरिकी नागरिकों पर राष्ट्रवाद का जादू चल निकला था। हिलेरी क्लिंटन मुस्लिम परस्ती पर सपार होकर भी राष्ट्रपति नहीं बन सकी थी और चुनाव हार गयी थी। डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति बन गये थे।
इसे भी पढ़ें: BJP ने राहुल गांधी को बताया ‘रियल लाइफ देवदास’
डोनाल्ड टम्प ने मुस्लिम परस्ती के खेल को उखाड़ फेंकने की पूरी कोशिश की थी। उसने खतरनाक देशों से मुस्लिम आबादी के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था। अवैध मुस्लिम शरणार्थियों की बाढ़ को रोक दिया था, पाकिस्तान के आतंकवाद पर रोक लगायी थी, अरब देशों के इजरायल के खिलाफ घृणा के गंथी और विष का दमन कर दिया था। अमेरिका में रहने वाली मुस्लिम आबादी को सीधे तौर पर संप्रभुत्ता हनन से बचने के लिए फरमान सुनाया था। डोनाल्ड ट्रम्प को मुस्लिम विरोधी घोषित कर दिया गया था। डोनाल्ड ट्रम्प का दोबारा राष्ट्रपति न बनना अमेरिका के लिए दुर्भाग्य बन गया। जो बाइडेन के राज्य में मुस्लिम परस्ती अमेरिका की संप्रभुत्ता हनन की लक्ष्मण रेखा पार कर रही है। मुस्लिम परस्ती भविष्य में अमेरिका के लिए फांसी का फंदा भी बन सकती है?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
इसे भी पढ़ें: जैक डोर्सी ने मोदी सरकार को मारा चाटा