UP News: (UP Congress President) लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अभी से सियासी बिसात बिछनी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने दलितों को साधने के लिए बृजलाल खाबरी (Brijlal Khabri) को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष (UP Congress President) बनाया है। हालांकि उनके नाम से अधिकतर लोग परिचित नहीं हैं। लेकिन प्रदेश में दलितों में उनकी अच्छी पैठ है। उन्होंने अपने राजनीतिक कॅरियर में दलितों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है। बुंदेलखंड के जालौन ज़िले में एक तहसील है कोंच। (UP Congress President) कोंच के एक छोटे से खाबरी नाम के गाँव के रहने वाले हैं बृजलाल खाबरी (Brijlal Khabri)।
बृजलाल से बृजलाल खाबरी (Brijlal Khabri) बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। बात वर्ष 1977 की है। खाबरी गाँव में दलित समाज के ऊपर आए दिन अत्याचार होता था। एक दिन एक दलित बृजलाल (Brijlal Khabri) के पिता के पास आकार रोने लगा। तब 9वीं क्लास में पढ़ने वाले बृजलाल (Brijlal Khabri) ने ग़ुस्से में तमतमाए हुए उस दलित पीड़ित के साथ थाने पर पहुँच गये। दरोग़ा से दमदारी के साथ बात किए और दलितों के साथ मारपीट करने वालों पर मुक़दमा दर्ज करवा दिया। यहीं से बृजलाल से बृजलाल खाबरी (Brijlal Khabri) बन गये। रोज़ाना थाने- कचहरी में बृजलाल खाबरी लड़ते-भिड़ते दिखने लगे।
लोकप्रिय छात्र नेता रहे हैं खाबरी (Brijlal Khabri)
जालौन के डीएवी पीजी कालेज में बृजलाल खाबरी एक लोकप्रिय छात्रनेता के बतौर जाने जाते थे। छात्र राजनीति में कई आंदोलनों के अगुवा रहे। दो बार चुनाव लड़े लेकिन कुछ वोटों से हार गए।
इसे भी पढ़ें: मंच पर ‘सीता’ के सामने कांटा लगा गाने पर अश्लील डांस
जालौन से रह चुके हैं सांसद
इलाक़े के लोग बताते हैं की कांशीराम एक बार उरई आए थे, कैडर देने। कैडर देने का मतलब होता है प्रशिक्षण। बसपा में उन दिनों मिशन में नौजवानों को जोड़ने का बड़ा ज़ोर था। बसपा संस्थापक कांशीराम के भाषण से प्रभावित होकर बृजलाल खाबरी ने घर-बार छोड़ दिया। वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में बृजलाल खाबरी जालौन से सांसद चुने गये। अगला चुनाव खाबरी हार गए लेकिन कांशीराम ने उन्हें राज्य सभा भेज दिया।
बृजलाल खाबरी ने एक संगठनकर्ता के बतौर शायद ही यूपी का कोई ज़िला रहा हो जहां काम न किया हो। गोरखपुर, आज़मगढ़, इलाहाबाद, पश्चिम के कई ज़िलों में प्रभारी के बतौर काम किया है। कांग्रेस को बृजलाल खाबरी का सांगठनिक तजुर्बा और जातीय आधार दोनों ही मज़बूत करेगा।
इसे भी पढ़ें: सपा-बसपा फिर आ सकते हैं साथ! नए समीकरणों को साधने में जुटे अखिलेश