प्रकाश सिंह
लखनऊ: जिंदगी में मजाक तो होता रहता है, लेकिन गरीबों के साथ अक्सर गंदा मजाक ही होता है। गरीबों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए सरकार की तरफ से कई योजनाएं चलाई जा रही है, मगर इसका कितना लाभ जरूरतमंदों को मिल पा रहा है, यह आज भी बड़ा सवाल बना हुआ है। ऐसे में इन दिनों उत्तर प्रदेश में राशन कार्ड (Ration Card) का मामला सुर्खियों में बना हुआ है। रााशन कार्ड (Ration Card) के नाम पर एकबार फिर गरीबों के साथ गंदा मजाक किया गया है, और यह मजाक कोई और नहीं बल्कि सरकारी स्तर से हुआ है। कोरोना काल में गरीबों को मुफ्त राशन देकर केंद्र की मोदी सरकार ने एक जिम्मेदार सरकार की जो भूमिका निभाई वह निश्चित तौर पर काबिले तारीफ है। पर एक झटके में राशन कार्ड सरेंडर करने का सरकारी स्तर पर जो साजिश रची गई उसने सरकार के सारे किए कराए पर पानी फेरने का काम किया है।
उत्तर प्रदेश में अधिकतर लोगों ने राशन कार्ड सरेंडर कर दिया है। राशन कार्ड सरेंडर करने वाले ये वे लोग हैं, जो इमानदार हैं, जिनमें कानून का डर है और वह भारतीय कानून का सम्मान करते हैं। वहीं कानून को ठेंगे पर रखने वालों ने अभी भी अपना राशन कार्ड सरेंडर नहीं किया है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह बयान कि राशन कार्ड सरेंडर करने का कोई आदेश ही नहीं दिया गया है, किसी भद्दे मजाक से कम नहीं है। क्योंकि बिना सरकारी आदेश के राशन कार्ड सरेंडर कराने की आखिर बात कहां से आई। जबकि इसके लिए क्षेत्रों में बाकायदे मुनादी कराई कई गई। लोगों को इसकी वसूली किए जाने को लेकर धमकाया गया। जिन्होंने राशन कार्ड सरेंडर किया उनका राशन कार्ड निरस्त भी कर दिया गया। इतना सब कुछ हो जाने के बाद सरकार का यह कहना ऐसा कोई आदेश दिया ही नहीं गया है, किसी गंदे मजाक से कम नहीं है।
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सवाल यह भी है कि जब ऐसा कोई आदेश नहीं था तो क्षेत्रों में राशन कार्ड सरेंडर करने की मुनादी किसने कराई? राशन कार्ड सरेंडर करने वालों को अधिकारियों कार्ड निरस्त क्यों किया? वहीं अब अधिकारियों की तरफ से कहा जा रहा है, जिनका कार्ड सरेंडर हो चुका है, उन्हें नई प्रक्रिया के तहत कार्ड जारी किया जाएगा। नई प्रक्रिया और पुरानी प्रक्रिया में इतना झोल बताया जा रहा है, जिसको पूरा कर पाना असान भी नहीं है। यानि कानूनी प्रक्रिया और सरकारी मनमानी के बीच एक बार फिर ईमानदारी दिखाने वालों को पिसना पड़ेगा।
विरोध के बाद सरकार ने किया सरेंडर
जानकारों की मानें तो गरीबों को मिलने वाले मु्फ्त रााशन को रोकने के लिए सरकार की तरफ से राशन कार्ड पात्रता के वे मानक तय किए गए जिसमें अधिकतर जनता आती ही नहीं। ऐसे में अगर इस प्रक्रिया का पालन होता है, तो करीब 90 फीसदी पात्र अपात्र घोषित हो जाएंगे। वहीं इस मामले में जबरदत विरोध और खुद को घिरता देख अपना बचाव करते हुए यह बयान देकर कि ऐसा कोई आदेश दिया ही नहीं गया था खुद को सरेंडर कर दिया है। लेकिन उनका क्या जिन्होंने पात्र होते हुए भी अपना राशन कार्ड सरेंडर कर दिया है?
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