Russia-Ukraine War: जंग हमेशा अपने पीछे तबाही छोड़ जाती है। जो सदियों तक लोगों को उस समय के भयानक मंजर का एहसास कराते रहते हैं। यूक्रेन-रूस के बीच जारी युद्ध में इसी तरह का मंजर सामने आ रहा है, जिसका सच जानकर हर किसी की रूह कांप जाएगी। यूक्रेन-रूस के बीच जारी युद्ध पर दुनिया की निगाहें बनी हैं। लेकिन वहां के लोगों पर जो गुजर रही है, उस दर्द का एहसास शायद किसी को हो। मौत के साये में बेबसी में जीना किसी भयावह सपने से कम नहीं है। यूक्रेन के बूचा में हुए नरसंहार का सच अब सामने आने लगा है। इस नरसंहार का असली दोषी रूसी सैन्य कमांडर अजात्बेक ओमुरबेकोव था। उसी ने रूसी सैनिकों को आदेश दिया था कि 50 साल से कम उम्र वाले पुरुषों की पहचान कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाए और महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया जाए। ऐसा दावा ब्रिटिश मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में किया है।
ब्रिटिश मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में रूसी कमांडर को बूचा का कसाई बताया है। रिपोर्ट की मानें तो सेपरेट मोटराइज्ड राइफल ब्रिगेड के कमांडर अजात्बेक ओमरबेकोव ने नागरिकों की हत्या करने के बाद उनके परिजनों को शवों को दफनाने के लिए मात्र बीस मिनट का वक्ता दिया था। बताया जा रहा है कि सैन्य कमांडर का ईश्वर में विश्वास था और युद्ध से पहले उसने आर्थेडॉक्स चर्च के पादरी से आशीर्वाद भी लिया था। रूसी हमलों में बचे लोगों ने बूचा में शवों की जांच कर रहे अधिकारियों को बताया कि रूसी सैनिकों ने यहां पहुंचने के बाद नागरिकों के दस्तावेज खंगाले और जो भी उन्हें संदिग्ध लगा उसे गोली मार दी।
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नागरिकों के शरीर पर यूक्रेनी आर्मी के टैटू की तलाश की गई। लोगों के जबरन कपड़े उतरवाए गए। महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उनके साथ बर्बरता की सारी हदें पार की गई। बता दें कि ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट में जिस रूसी कमांडर को बूचा में हुए नरसंहार का दोषी माना जा रहा है, उसे वर्ष 2014 में रूस के डिप्ट डिफेंस मिनिस्टर दिमित्री बुल्गाकोव ने बेहतरीन काम के लिए मिलिट्री मेडल से सम्मानित किया था।
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