नई दिल्ली: मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) ध्रुव कटोच ने युद्ध के दौरान मीडिया की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा है कि अगर सेना के पास हथियार हैं, तो पत्रकारों के पास कलम है। युद्ध के दौरान जितनी महत्वपूर्ण भूमिका हथियारों की होती है, उतना ही अहम स्थान पत्रकारों की कलम का भी है। मेजर जनरल कटोच शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘शुक्रवार संवाद’ को संबोधित कर रहे थे।
‘युद्ध पत्रकारिता’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री कटोच ने कहा कि युद्ध की रिपोर्टिंग से पहले पत्रकारों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपना रिसर्च वर्क अच्छी तरह से करें। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को सेना के आधारभूत ढांचे का अध्ययन करना चाहिए। अपनी सेना और विरोधी सेना की संरचना, दोनों से परिचित होना चाहिए। एक रिपोर्टर के रूप में पत्रकारों को दोनों सेनाओं की रैंक प्रणाली से भी परिचित होना चाहिए। पत्रकारों को सेना द्वारा इस्तेमाल किए गए उपकरणों और हथियारों के नाम के बारे में भी अच्छी तरह से अवगत होना चाहिए। आर्टिलरी गन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली शर्तों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।
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मेजर जनरल कटोच के अनुसार युद्ध के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात है, सच बोलना। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो आपके मीडिया हाउस की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि युद्ध चौबीसों घंटे नहीं होता है। इसलिए एक रिपोर्टर के रूप में आपको इस ब्रेक टाइम का उपयोग अधिकारियों के साक्षात्कार और मानवीय कहानियों को सामने लाने में करना चाहिए। युद्ध रिपोर्टिंग का मूलभूत सिद्धांत ‘सत्य’ है, लेकिन सत्य के कई पहलू हैं। इसलिए अपना सत्य सावधानी से चुनें। अपने आप को और भारतीय सेना को एक टीम समझें। तभी आप एक अच्छे वॉर जर्नलिस्ट बन सकते हैं।
कार्यक्रम का संचालन आईआईसमी, जम्मू कैंपस के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. (डॉ.) राकेश गोस्वामी ने किया एवं स्वागत भाषण डीन (छात्र कल्याण) एवं आउटरीच विभाग के प्रमुख प्रो. (डॉ.) प्रमोद कुमार ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन आउटरीच विभाग में अकादमिक सहयोगी सलोनी सैनी ने किया।
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