Waqf Board: साल 2013 में, यूपीए सरकार (UPA Government) ने वक्फ बोर्डों (Waqf Boards) की ताकत को बढ़ाते हुए उन्हें संपत्ति के अधिकार दिए थे। अब, NDA सरकार वक्फ बोर्डों (Waqf Boards) पर नियंत्रण लगाने की दिशा में कदम उठा सकती है। 5 अगस्त को संसद में एक नया बिल पेश किया जा सकता है, जिसके तहत वक्फ बोर्डों (Waqf Boards) को संपत्तियों को वक्फ घोषित करने के अधिकार में कटौती की जाएगी।

इस नए विधेयक के अनुसार, अब वक्फ बोर्ड (Waqf Board) किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने के बाद उसे वापस पाने के लिए जमीन के मालिक को न्यायालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। यदि यह बिल पास हो जाता है, तो वक्फ बोर्डों (Waqf Boards) की संपत्तियों पर दावे करने की प्रक्रिया को और सख्त किया जाएगा।

बिल में संशोधन की योजना

हाल ही में हुई कैबिनेट की बैठक में वक्फ अधिनियम में 40 संशोधनों पर चर्चा हुई। हालांकि, इस बात पर भी विचार किया गया कि क्यों न नए बिल के माध्यम से इन संशोधनों को लागू किया जाए। प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, वक्फ बोर्ड द्वारा किए जाने वाले संपत्ति दावों की सत्यापन प्रक्रिया लागू की जाएगी। साथ ही, विवादित संपत्तियों के लिए भी अनिवार्य सत्यापन का प्रावधान किया जाएगा।

महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का प्रस्ताव

इस बिल में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने का भी प्रस्ताव शामिल है। यह कदम महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।

वक्फ बोर्डों के पास संपत्ति की स्थिति

वर्तमान में, वक्फ बोर्डों के पास लगभग 9.4 लाख एकड़ में फैली 8.7 लाख से अधिक संपत्तियां हैं। वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत, ‘औकाफ’ वह संपत्ति है जो कोई मुस्लिम व्यक्ति धार्मिक रूप से वक्फ बोर्ड को दान करता है। हालांकि, कई बार ऐसे मामलों की सूचना मिली है, जहां किसी व्यक्ति की संपत्ति को बिना उसकी अनुमति के वक्फ बोर्ड को दान कर दिया गया, जिससे असली मालिक को अपनी संपत्ति वापस पाने के लिए अदालत के चक्कर काटने पड़े।

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राज्य वक्फ बोर्डों के पास व्यापक अधिकार होते हैं, और अक्सर देखा गया है कि जब कोई व्यक्ति वक्फ संपत्ति पर दावा करता है, तो बोर्ड सर्वे में देरी कर देता है। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड के निर्णयों के खिलाफ अपील करने की प्रक्रिया में भी कई खामियां पाई गई हैं, क्योंकि अपीलों के निपटारे के लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं होती।

आगे का रास्ता

इस नए बिल के संभावित विरोध के बावजूद, NDA सरकार का प्रयास वक्फ बोर्डों के अधिकारों को पुनः परिभाषित करना है, ताकि संपत्तियों पर अधिक पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित किया जा सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद में इस बिल पर क्या प्रतिक्रिया मिलती है और क्या यह वास्तव में वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली में सुधार ला पाएगा।

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