लखनऊ: कोरोना काल के बीच प्राइवेट स्कूल और अस्पताल दोनों लोगों के निशाने पर रहे। दोनों पर जनता से मनमानी के आरोप लगे। हालांकि सरकार ने स्कूलों को फीस बढ़ोतरी और वसूली करने के निर्देश दिए थे। स्कूलों के मनमानी के सामने यह निर्देश हवा हवाई साबित हुए। वहीं अब उत्तर प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूल अब सूचना के अधिकार अधिनियम (Right to Information Act, 2005) के दायरे में आ गए हैं। अब उन्हें आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी अनिवार्य रूप से देनी ही होगी। इससे छात्रों और उनके अभिभावकों को प्राइवेट स्कूल (Private Schools) से सूचना पाने के लिए इधर उधर भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी।
दायरे में आए प्राइवेट स्कूल
गौरतलब है कि राज्य सूचना आयोग (SIC) ने यह आदेश एक याचिका की सुनवाई करने के बाद दिया है। राज्य सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने प्राइवेट स्कूलों में जन सूचना अधिकारियों की नियुक्ति करने का आदेश दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि गैर सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूल आरटीआई एक्ट के दायरे में आने चाहिए। इस पर काफी लंबे समय से बहस चल रही है।
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बता दें कि संजय शर्मा की तरफ से राजधानी लखनऊ के दो नामी प्राइवेट स्कूलों के संबंध में याचिका दायर की गई थी। इसी याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयोग (SIC) ने मुख्य सचिव को निजी स्कूल प्रशासकों को निर्देश करने के लिए कहा कि वे आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत लोगों को जानकारी उपलब्ध कराने की सुविधा के लिए जन सूचना अधिकारी नियुक्त करें।
प्राइवेट स्कूल जानकारी की जगह देते थे ये दलील
अभी तक प्राइवेट स्कूल जानकारी देने की जगह खुद को आरटीआई से बहार होने का हवाला देते थे। प्राइवेट स्कूलों ने इस आधार पर जानकारी देने से मना कर रहे थे कि उन्हें राज्य से कोई मदद नहीं मिलती है और इसीलिए वे आरटीआई एक्ट के दायरे में नहीं आते। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह आदेश दिया था कि अगर किसी शहर का विकास प्राधिकरण किसी निजी स्कूल को रियायती दरों पर जमीन उपलब्ध कराता है तो स्कूल को राज्य की मदद वाला स्कूल माना जाएगा। राज्य सूचना आयोग ने स्पष्ट किया है कि जिला शिक्षा अधिकारी याचिकाकर्ता की तरफ से मांगी गई सभी जानकारी देने को बाध्य हैं।
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