रविंद्र प्रसाद मिश्र
UP News: तस्वीरें झूठ नहीं बोलती। और जो तस्वीर आपको दिखाई दे रही है वह एक नहीं दो कहानियां बयां कर रही है। देवरिया हत्याकांड ने जहां भ्रष्ट नौकरशाही की पोल खोल दी है, वहीं योगी सरकार (Yogi government) के दावों की हवा भी निकाल दी है। सोमवार को देवरिया जनपद के रुद्रपुर कोतवाली क्षेत्र के फतेहपुर गांव के लेहड़ा टोला में हुई हिंसक घटना में पूर्व जिला पंचायत सदस्य समेत छह लोगों की मौत हो गई। घटना की वजह जमीनी रंजिश बताई जा रही है। उत्तर प्रदेश में बेहतर सुशासन और कानून के राज का दंभ भरने वाली योगी सरकार (Yogi government) में अगर सब ठीक ठाक होता तो इतनी बड़ी घटना न घटती! जनता की समस्याओं को टालने वाले अधिकारियों की कारिस्तानी के चलते फतेहपुर के लेहड़ा टोला में यह हिंसक वारदात हुई। वहीं घटना के बाद पहुंचे प्रशासनिक अमले के बीच योगी सरकार के झूठ की भी पोल खुल गई है।
CM योगी ने गोरखपुर के BRD मेडिकल कालेज में देवरिया में हुई दुखद घटना में घायल बच्चे का हालचाल लिया। साथ ही, बच्चे के बेहतर उपचार के अधिकारियों को निर्देश दिए…#deoriamurdercase #Deoria pic.twitter.com/fjJJvBSRjv
— raghvendra mishra (@raghvendrapress) October 3, 2023
बिना शौचालय के ओडीएफ प्लस (ODF Plus)
बीते सप्ताह उत्तर प्रदेश के सौ फीसदी गांवों को ओडीएफ प्लस (ODF Plus) का दर्जा मिला है, जिसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। जबकि फतेहपुर के लेहड़ा टोला में मृतक ब्राह्मण परिवार के घर की यह तस्वीर चीख चीख कर सवाल पूछ रही है! सवाल यह है कि जिन गांवों में लोग आज भी खुले आसमान के नीचे जीवन जीने को अभिशप्त हैं, वह गांव खुले में शौच मुक्त (ODF) कैसे हो सकता है? कवि अदम गोंडवी की वर्षों पहले की रचना- ‘उनकी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये बातें किताबी हैं।’ गोंडवी की यह रचना योगी सरकार (Yogi government) के दावों पर एकदम सटीक बैठती है। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से सबको घर और हर घर शौचालय अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की कमीशनबाजी के चलते सरकारी आंकड़े और हकीकत में काफी झोल नजर आ रहा है।
ऊपर कच्चा घर एक कर्मकांडी ब्राह्मण परिवार का है ।पूरे परिवार की हत्या कर दी गई है।और नीचे पूर्व प्रधान का घर है।
वाह रे उत्तर प्रदेश !!
हजारों सालों तक सनातन धर्म को संरक्षित रखने का यही सिला मिल रहा है।#Deoria#Brahmins pic.twitter.com/iCG2CLD7CX— Anubhav Vashishtha (@anubhavvashish1) October 2, 2023
सरकारी दावों की खुली कलई
एक तरफ जहां सरकारें ओडीएफ (ODF) गांव के नाम पर खुद की पीठ थपथपा रही हैं, वहीं गांवों में कई गरीब परिवारों को आज भी छत नसीब नहीं हो सकी है। उसी में से एक नाम लेहड़ा टोला के सत्य प्रकाश दुबे का है। हालांकि अब वह इस दुनिया में नहीं रहे। पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेम यादव की हत्या के बाद उनके समर्थकों ने घर में घुसकर सत्य प्रकाश दुबे, उनकी पत्नी, बेटी व बेटों की निर्मम हत्या कर दी। इस हत्याकांड से पूरा सूबा सहम सा गया है। विपक्षी दल कानून व्यवस्था के सवाल पर जहां सरकार को घेरने में लगे हैं। वहीं सरकारी दावों की कलई खुल गई है। फिलहाल पूरे घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नज़र बनाए हुए हैं, उम्मीद है कि जो इंसाफ सत्य प्रकाश दुबे को जिंदा रहते नहीं मिल सका, वह अब उनके जीवित बचे बच्चों को मिल जाएगा। प्रदेश में ऐसे कई सत्य प्रकाश हैं, जो इंसाफ के लिए दबंगों से किसी तरह बच बचाकर सरकारी अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें अगली तारीख देकर भगवान भरोसे टाल दिया जाता है।
फतेहपुर गांव में 6 लोगों की हत्या का मामला, मृतक सत्य प्रकाश दुबे के बेटे ने की दोषियों को फांसी देने की मांग। छोटे भाई का आज जन्मदिन था, जिस मासूम को मौत की नींद सुला दिया गया।#Deoria #DeoriaPolice #DeoriaCrimeNews #DeoriaMurderCase #DeoriaNews pic.twitter.com/HfNc6BgW9J
— raghvendra mishra (@raghvendrapress) October 2, 2023
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क्या है ओडीएफ प्लस (ODF Plus) गांव
ओडीएफ प्लस (ODF Plus) ऐसे गांवों को माना जाता है, जहां सभी घरों के साथ-साथ प्राथमिक विद्यालय, पंचायत घर और आंगनबाड़ी केंद्र में शौचालय की सुविधा हो। ऐसे गांव जहां खुले में शौच पर पूर्ण पाबंदी हो और ग्राम पंचायत में कम से कम एक सामुदायिक शौचालय जरूर हो। स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र पर छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय उपलब्ध हो। इसके अलावा सभी सार्वजनिक स्थानों और कम से कम 80 फीसदी घरों में अपने ठोस और तरल कचरे का प्रभावी ढंग से प्रबंधन की व्यवस्था हो। गांव के लोगों स्वच्छता के प्रति जागरूक हों। जगह-जगह स्वच्छता और जागरूकता के स्लोगन भी लिखे होने चाहिए। प्लास्टिक के कचरे के निस्तारण का प्रबंध भी होना चाहिए। मजेदार बात यह है कि सरकारी आंकड़े में ओडीएफ प्लस के जौ पैमाने निर्धारित हैं, ग्रामीणों को इसकी जानकारी ही नहीं है। बावजूद इसके उत्तर प्रदेश के अधिकांश गांव ओडीएफ प्लस मान लिए गए हैं। उससे दिलचस्प बात यह है, जिनके पास रहने को घर नहीं है, उनके यह भी सरकारी आंकड़ों में शौचालय बन चुके हैं।
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