Shyam Kumar
श्याम कुमार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब इतना तो समझ में आ गया होगा कि देश गाल घुमाकर थप्पड़ खाते रहने से नहीं चलेगा, बल्कि उसका सुचारु संचालन चाणक्य की नीति का अनुसरण करने से होगा। वर्ष 2014 में जब से केंद्र में मोदी सरकार सत्तारूढ़ हुई है, कांग्रेस उसके विरुद्ध लगातार दुष्प्रचार व षड्यंत्र करती आ रही है। यहां तक कि उसने मोदी सरकार को हटाने के लिए अपने दूत मणिशंकर अय्यर के जरिए भारत के घोर शत्रु देश पाकिस्तान तक से सहयोग मांग लिया था। कांग्रेस सदैव तरह-तरह से भ्रम फैलाकर मोदी सरकार के विरुद्ध आग लगाने से बाज नहीं आ रही है। वह लोगों को दिग्भ्रमित कर षड्यंत्रों से देश के वातावरण को अशांत करने पर तुली हुई है तथा अराजकता पैदा कर रही है।

अब इस वास्तविकता पर गंभीरता से गौर किया जाना चाहिए कि वास्तविक महापुरुषों के विदा होने के बाद कांग्रेस पार्टी पर जब से जवाहरलाल नेहरू का कब्जा हुआ, यह पार्टी न केवल नेहरू वंश की जागीर बन गई, बल्कि जिस प्रकार जवाहरलाल नेहरू को देशहित के बजाय सिर्फ अपने व अपने खानदानवालों के हित का ध्यान रहता था, उसी प्रकार नेहरू के वंशजों का भी वैसा ही चरित्र चला आ रहा है। उसी क्रम में कांग्रेस पार्टी का चरित्र एवं उद्देश्य ही देशहित की सोचने के बजाय सिर्फ नेहरू वंश की गुलामी करना रह गया है।

देशभर में ‘पप्पू’ के नाम से मशहूर राहुल गांधी कहा करते हैं कि कांग्रेस एक विचारधारा का नाम है। वस्तुतः यह विचारधारा है फर्जी सेकुलरवाद के नाम पर देशहित एवं हिंदूहित का विरोध करना। इस विचारधारा को जवाहरलाल नेहरू ने जन्म दिया था और वही विचारधारा नेहरू के वंशजों के माध्यम से कांग्रेस में अब तक चली आ रही है।

हिंदू स्वभाव से बहुत उदार होता है, जिसका लाभ उठाकर उसे मूर्ख बनाने के लिए नेहरू वंश चुनावी लाभ हेतु हमेशा ढोंग करता रहा है। चुनाव के समय का वह दृश्य अभी पुराना नहीं हुआ है, जब कोट पर जनेऊ पहनकर अपने को ब्राम्हण घोषित करते हुए पप्पू मंदिर-मंदिर की दौड़ लगा रहा था। वह न तो पहले कभी मंदिर जाता रहा है और न चुनाव के बाद गया। हिंदू की कमजोरी यह है कि वह इस ढोंग का शिकार हो जाता है। पता नहीं किस लोभ में पुजारीगण भी पप्पू को मंदिर में प्रवेश देने से मना करने के बजाय वहां उससे पूजा कराने लगते हैं।

इसका सबसे वीभत्स उदाहरण सोमनाथ मंदिर का है। जिस सोमनाथ मंदिर का सरदार पटेल द्वारा पुनर्निर्माण कराए जाने का जवाहरलाल नेहरू ने घोर विरोध किया था, उसी सोमनाथ मंदिर के पुजारियों ने वहां ढोंगी नेहरू के ढोंगी वंशज राहुल गांधी की आवभगत की। उन पुजारियों से अच्छे तो नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के पुजारी थे, जिन्होंने सोनिया गांधी को मंदिर में प्रवेश देने से मना कर दिया था।

scams of the Nehru dynasty

नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के शरीर में फैले हुए हिंदू-विरोध के साम्प्रदायिक कोढ़ का जब से इलाज शुरू किया है, कांग्रेस एवं उसके फर्जी सेकुलरियों के गिरोह ने तूफान मचा रखा है। मोदी सरकार के हर देशहितकारी कदम का विरोध किया जाता है तथा उस विरोध का मुख्य आधार हिन्दू-विरोध होता है। सच्चाई यह है कि ऐसे तत्वों को हिंदुओं से नफरत है। कट्टरतावादी मुसलमानों का हिंदू-विरोध तो समझा जा सकता है, क्योंकि वे बचपन से ऐसी ही मजहबी कट्टरता सीखते हैं। लेकिन उनसे ज्यादा खतरनाक वे हिंदू नामधारी फर्जी सेकुलरिए हैं, जिनका एकसूत्री कार्यक्रम हिंदू-विरोध है, जोकि राष्ट्रविरोध में बदल जाता है।

मोदी सरकार को चाहिए कि एक आयोग गठित करे, जो भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे एवं देश के हित के विरुद्ध काम करते आ रहे नेहरू वंश व अन्य प्रमुख कांग्रेसियों के कारनामों की गहन जांच करे। कांग्रेस द्वारा मजहबी आधार पर देश का विभाजन क्यों स्वीकार किया गया, इसकी जांच भी होनी चाहिए। उस जांच से उस समय जवाहरलाल नेहरू द्वारा देशहित के विरुद्ध किए गए कार्यों की पोल खुलेगी।

यह भी पता लगेगा कि जब उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल आदि के लगभग शत-प्रतिशत मुसलमानों ने पाकिस्तान के निर्माण का पक्ष लिया था तो विभाजन के बाद जवाहरलाल नेहरू ने सेकुलरवाद के नाम पर उनको पाकिस्तान जाने से क्यों रोक लिया। यदि सेकुलरवाद से इतना प्रेम था तो मजहब के आधार पर देश का बंटवारा क्यों किया गया? बंटवारे में मुसलमानों की आबादी के हिसाब से भारत की अधिक जमीन पाकिस्तान को दे दी गई, जबकि बड़ी मुसलिम आबादी भारत में ही रह गई।

नेहरू के उस कदम का ही नतीजा है कि आजादी से पहले देश में नित्य साम्प्रदायिक दंगों की जो अराजकता मची रहती थी तथा हिंदुओं का जीना दूभर था, विभाजन के बाद भी वही स्थिति विद्यमान है। आजादी के पहले हिंदुओं का जीना कठिन हो गया था। मसजिदों के सामने बाजा बजाते हुए बरातें व हिंदू धार्मिक जुलूस नहीं निकल सकते थे। इलाहाबाद (अब प्रयागराज) का देशभर में सुविख्यात दशहरा अनेक वर्षों तक बंद रहा। इस समय भी तमाम कट्टरतावादी मुसलिम देश में अशांत वातावरण उत्पन्न कर रहे हैं।

मोदी सरकार को चाहिए कि वह पूरे नेहरू वंश के कारनामों की जांच के लिए आयोग गठित करे। नेहरू वंश की मूर्खताओं व बदनीयती ने देश को भीषण क्षति पहुंचाई। जवाहरलाल नेहरू की देशविरोधी नीतियों के कारण 1962 में भारत को चीन से जो शर्मनाक पराजय झेलनी पड़ी और हमारे देश की हजारों वर्गकिलोमीटर जमीन चीन के कब्जे में चली गई, उस प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए। नेहरू सरकार ने ‘जीप घोटाला कांड’, ‘मूंदड़ा घोटाला कांड’ आदि जो अनेक गंभीर भ्रष्टाचार किए, उनकी भी सम्यक जांच हो।

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बंगलादेश के निर्माण के समय हुए युद्ध में बहादुर भारतीय सेना द्वारा बंदी बनाए गए एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों को पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर का हिस्सा वापस लिए बिना एवं पाकिस्तान में कैद भारतीय सैनिकों को मुक्त कराए बिना छोड़ देने की जो मूर्खता की, उसकी जांच के लिए भी आयोग गठित किया जाना चाहिए। वह आयोग इंदिरा गांधी के ‘मिंक कोट कांड’, ‘नागरवाला कांड’ आदि भ्रष्टाचारों की भी जांच करे।

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इंदिरा गांधी के सबसे बड़े पाप इमरजेंसी की विस्तृत जांच की जानी चाहिए। जनता पार्टी की मुरारजी देसाई सरकार ने इमरजेंसी की जांच के लिए जो शाह आयोग गठित किया था, उसकी रिपोर्ट की प्रतियां पुनर्मुद्रित कर देशभर में वितरित की जाएं। इससे आज की पीढ़ी इंदिरा गांधी के उस कुत्सित रूप को जान सकेगी। लोग जान सकेंगे कि इंदिरा गांधी ने अपने स्वार्थ के लिए किस प्रकार देश के संविधान एवं संवैधानिक संस्थाओं को तहस-नहस कर डाला था। इमरजेंसी पर ‘बाहुबली’-जैसी बड़ी फिल्म बनवाकर देशभर में प्रदर्शित की जानी चाहिए।

राजीव गांधी के नेतृत्व में उनकी सरकार ने वर्ष 1984 में पांच हजार सिखों का जो निर्मम नरसंहार कराया, उसकी भी भलीभांति जांच कर राजीव गांधी के लिए मरणोपरांत दंड घोषित किया जाना चाहिए। नेहरू वंश के हर भ्रष्टाचार एवं घोटाले की गहराई से जांच हो। नेहरू वंश की विध्वंसक गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए। जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री के रूप में अनुचित रूप से स्वयं को ‘भारत रत्न’ का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान दे दिया था, जिसे वापस ले लिया जाय। नेहरू वंश के लोगों के नाम पर रखे गए अनगिनत सड़कों, भवनों, योजनाओं आदि के नाम बदले जाएं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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