Pauranik Katha: राजा निमि की कथा
Pauranik Katha: श्रीरामचन्द्र जी बोले, हे लक्ष्मण! अब मैं तुम्हें शाप से सम्बंधित एक अन्य कथा सुनाता हूँ। हमारे ही पूर्वजों में निमि नामक एक प्रतापी राजा थे। वे महात्मा…
Pauranik Katha: श्रीरामचन्द्र जी बोले, हे लक्ष्मण! अब मैं तुम्हें शाप से सम्बंधित एक अन्य कथा सुनाता हूँ। हमारे ही पूर्वजों में निमि नामक एक प्रतापी राजा थे। वे महात्मा…
Pauranik Katha: जो ईश्वर का भक्त होता है, उसका स्वामी ईश्वर होता है। उस पर काल (मृत्यु) का अधिकार नहीं होता। अनधिकार चेष्टा करने से काल की भी मृत्यु हो…
Pauranik Katha: क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेष शैया पर विश्राम कर रहे हैं और लक्ष्मीजी उनके पैर दबा रही हैं। विष्णुजी के एक पैर का अंगूठा शैया के बाहर आ…
Pauranik Katha: भगवान विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा देवी का विवाह भगवान सूर्य से हुआ था। उन दोनों की तीन संताने थी। वैवस्वत, यम, औऱ यमुना। संज्ञा देवी अपने पति सूर्य…
Pauranik Katha: हिरण्यकशिपु के वंशज सुंद-उपसुंद। हिरण्यकशिपु के वंश में राक्षस निकुंभ के दो पुत्र हुए, सुंद और उपसुंद। ये दोनों भाई अपने समय के शक्तिशाली राक्षस थे। दोनों में…
Pauranik Katha: महाभारत के एक वृर्तान्त के अनुसार जलाशय में पानी पीने गए नकुल, सहदेव, अर्जुन व भीम यक्ष के प्रश्नों की परवाह न करते हुए पानी पीने की कोशिश…
Prerak Prasang: एक समय लक्ष्मी जी विष्णुजी को भोजन करा रही थी, विष्णुजी ने पहला ग्रास मुंह में लेने से पहले ही हाथ रोक लिया, और उठ कर चले गए।…
Pauranik Katha: इन्द्र से वर प्राप्त करके रघुनन्दन राम महर्षि अगस्त्य के आश्रम में पहुँचे। वे शम्बूक वध की कथा सुनकर बहुत प्रसन्न हुये और उन्होंने विश्वकर्मा द्वारा दिया हुआ…
Pauranik Katha: सरयू की उत्पत्ति के संबंध में ऐसी कथा प्राप्त होती है कि एक बार राजा इक्ष्वाकु ने वशिष्ठ जी से यह इच्छा प्रकट की कि इतनी बड़ी अयोध्या…
Pauranik Katha: महाभारत में पृषत नाम के एक राजा भरद्वाज मुनि के मित्र थे। उनके पुत्र का नाम द्रुपद था। वह भरद्वाज आश्रम में रहकर द्रोणाचार्य के साथ ही शिक्षा…