बारूदी धुएं में कराह रही मानवता के कल्याण के लिए उदघोष
विश्व संत्रस्त है। अनेक देश युद्ध की विभीषिका में हैं। मानवता कराह रही है। स्त्रियों, वृद्धों, मासूम बच्चों की लाशें गिनती से बाहर हैं। पश्चिम में बारूद ही बारूद है।…
विश्व संत्रस्त है। अनेक देश युद्ध की विभीषिका में हैं। मानवता कराह रही है। स्त्रियों, वृद्धों, मासूम बच्चों की लाशें गिनती से बाहर हैं। पश्चिम में बारूद ही बारूद है।…
सृष्टि की तीन अवस्थाएं। युद्ध, संकट और शांति। संतुलन का दायित्व हमारा और आपका है। इन तीनों की उपस्थिति रहेगी ही। संस्कृति और सभ्यता के साथ इनकी समता और विषमता…
World War: काल का चक्र घूम रहा है। हम सब पृथ्वीवासी निशिवासर एक आशंका को जी रहे हैं। दूसरा विश्वयुद्ध 1939 से 1945 तक चला था। उसकी भयावह स्मृतियों को…