Poem: ना तुझे पता, ना मुझे पता

ये विकास है या कुछ और है! ना तुझे पता, ना मुझे पता। क्या दलित होना गुनाह है! ना तुझे पता, ना मुझे पता। इक कोठरी में कई लोग हैं,…

Diwali: आंधिया चाहे उठाओ

आंधिया चाहे उठाओ, बिजलियां चाहे गिराओ, जल गया है दीप तो, अंधियार ढलकर ही रहेगा। रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाए, वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर…

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