अखबारों में उपेक्षित हो रही है भाषा
लगभग सात दशक पूर्व पुरानी हिंदी निखरकर अपने वर्तमान रूप में आ चुकी थी। वैसे, उस समय दैनिक ‘भारत’ में मेरे एक वरिष्ठ सहयोगी विश्वम्भरनाथ जिज्जाजी थे, जिनकी उस समय…
लगभग सात दशक पूर्व पुरानी हिंदी निखरकर अपने वर्तमान रूप में आ चुकी थी। वैसे, उस समय दैनिक ‘भारत’ में मेरे एक वरिष्ठ सहयोगी विश्वम्भरनाथ जिज्जाजी थे, जिनकी उस समय…