भारत में परिवार और समाज से हुआ राष्ट्रभाव का विकास

हम असीम अस्तित्व के अंग हैं। इसलिए लघु से महत होने की संभावनाएं भी हैं। हम शरीरधारी हैं। हमारी पहली सीमा शरीर है। इससे सम्बंधित बड़ी सीमा परिवार है। परिवार…

Book Review: तीन श्रेष्ठ कवियों की पत्रकारिता का आकलन

Book Review: हिंदी के तमाम मूर्धन्य संपादक पत्रकारिता के किसी संस्थान या विश्वविद्यालय से प्रशिक्षित नहीं थे। किंतु वे अपने आप में प्रशिक्षण संस्थान थे। वे पूरे के पूरे पाठ्यक्रम…

मूल परंपरा से संवाद जरूरी है

आधुनिकता प्रायः आकर्षण होती है। नई होती है और ताजी प्रतीत होती है। लेकिन वास्तविक आधुनिकता विचारणीय है। आधुनिकता नकली भी होती है। दरअसल आधुनिकता स्वयं में कोई निरपेक्ष आदर्श…

भारत की धरती का लंबा इतिहास होना चाहिए

प्रत्यक्ष पर्यावरण प्रकृति की संरचना है। भारत के प्राचीन काल में भी प्राकृतिक पर्यावरण की उपस्थिति मनमोहक थी। प्रकृति को देखते, उसके विषय में सोचते और सुनते मनुष्य ने भी…

विकास के पश्चिमी माडल से उपजा पर्यावरण संकट: प्रो. संजय द्विवेदी

Lucknow News: भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC ) के पूर्व महानिदेशक प्रो. (डा.) संजय द्विवेदी का कहना है कि भारतीय समाज प्रकृति पूजक और पर्यावरण का संरक्षण करने वाला समाज…

फिल्मों में भी दिखे भारत

समाज की बेहतरी, भलाई और मानवता का स्पंदन ही भारतबोध का सबसे प्रमुख तत्व है। फिल्म क्षेत्र में भारतीय विचारों के लिए यही कार्य ‘भारतीय चित्र साधना’ जैसी समर्पित संस्था…

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