Poem: जागो! भारत के सब सपूत
जागो! भारत के सब सपूत, सोये तो समय भयंकर है। निर्मूल करो षडयन्त्र सभी, आराध्य तुम्हारे शंकर हैं।। विदेशी षड्यंत्रों से जुड़े तार, विघटन स्वागत को खुले द्वार। अपनों से…
जागो! भारत के सब सपूत, सोये तो समय भयंकर है। निर्मूल करो षडयन्त्र सभी, आराध्य तुम्हारे शंकर हैं।। विदेशी षड्यंत्रों से जुड़े तार, विघटन स्वागत को खुले द्वार। अपनों से…