हनुमान वंदना

हे महावीर, हनुमान, पवनसुत विनती सुन लो मेरी। आस लगाये आया हूँ, प्रभु दास शरण में तेरी! अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता धरती का उद्धार करो। रोग जाल में धरा…

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