Kavita: एक दृष्टि
‘भा’रत भारत पुनः खड़ा हो, स्वामी विवेकानन्द ने बोला था। स्वर्णिम अतीत को जानेंगे सब, नव स्वाभिमान पथ खोला था।। झंझावातों में बढ़ हम सब ने, है कटक पथ की…
‘भा’रत भारत पुनः खड़ा हो, स्वामी विवेकानन्द ने बोला था। स्वर्णिम अतीत को जानेंगे सब, नव स्वाभिमान पथ खोला था।। झंझावातों में बढ़ हम सब ने, है कटक पथ की…
हरिशंकरी रोपित करो बनो हरियाली के मित्र जलवायु भी ठीक हो बदले धरती का चित्र बदले धरती का चित्र ताप भी कम हो जाये मानवता के साथ ही पशु पक्षी…