नयी दिल्ली। देश की स्टार्टअप कंपनियों को चालू कैलेंडर वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 6.5 अरब डॉलर का निवेश मिला है। वहीं 11 स्टार्टअप इकाइयां प्रतिष्ठित यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई हैं। यूनिकॉर्न से तात्पर्य एक अरब डॉलर से अधिक के मूल्यांकन से है। नास्कॉम-पीजीए लैब्स की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार दूसरी तिमाही में स्टार्टअप इकाइयों में निवेश के 160 सौदे पूरे हुए। यह जनवरी-मार्च की अवधि की तुलना में दो प्रतिशत अधिक है।
पीजीए लैब्स के निदेशक, कॉम्पेटिटिव इंटेलिजेंस अभिषेक मैती ने कहा, ‘‘जून, 2021 तक 53 यूनिकॉर्न वाले भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र ने अप्रैल-जून तिमाही में काफी अच्छा प्रदर्शन किया। तिमाही के दौरान जहां सबसे अधिक वित्तपोषण के सौदे हुए, वहीं एक तिमाही में सबसे अधिक संख्या में यूनिकॉर्न भी जुड़ीं।’’ मैती ने कहा कि लॉकडाउन अंकुशों में ढील के बाद आगे की छमाही में भी सौदों के हिसाब से भारतीय बाजार की स्थिति बेहतर नजर आ रही है।
रिपोर्ट कहती है, ‘‘2021 की दूसरी तिमाही स्टार्टअप की वृद्धि की कहानी की दृष्टि से शानदार रही। जहां इस तिमाही के दौरान स्टार्टअप इकाइयों को सबसे अधिक वित्तपोषण मिला, वहीं इस दौरान यूनिकॉर्न की संख्या में सबसे अधिक का इजाफा हुआ। कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र ने अपनी जुझारू क्षमता का परिचय दिया है। जून तिमाही में भारतीय स्टार्टअप्स को 6.5 अरब डॉलर का निवेश मिला, जो तिमाही-दर-तिमाही आधार पर 71 प्रतिशत की वृद्धि है।
तिमाही के दौरान सबसे बड़ा सौदा फूड डिलिवरी मंच स्विगी का रहा। स्विगी ने इस दौरान 80 करोड़ डॉलर का कोष जुटाया। शेयरचैट ने 50.2 करोड़ डॉलर, बायजूस ने 34 करोड़ डॉलर, फार्मईजी ने 32.3 करोड़ डॉलर और मीशो ने 30 करोड़ डॉलर जुटाए। इसके अलावा पाइन लैब्स ने 28.5 करोड़ डॉलर, देल्हीवेरी ने 27.7 करोड़ डॉलर, जेटा ने 25 करोड़ डॉलर, क्रेड ने 21.5 करोड़ डॉलर और अर्बन कंपनी ने 18.8 करोड़ डॉलर की राशि जुटाई।