Newschuski Digital Desk: केंद्र सरकार ने शनिवार को एक बहुत बड़ी घोषणा करते हुए सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 को लागू करने की जानकारी दी। यह कोड देश के श्रम कल्याण प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है, जिसका मुख्य फोकस गिग वर्कर्स (जैसे ओला-उबर ड्राइवर, स्विगी-जोमैटो डिलीवरी पार्टनर) और कामकाजी महिलाओं को व्यापक सामाजिक सुरक्षा का दायरा उपलब्ध कराना है।
गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स के लिए नई उम्मीद
इस नए फ्रेमवर्क के तहत पहली बार गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को आधिकारिक तौर पर मान्यता मिली है। इनके कल्याण के लिए एक विशेष सामाजिक सुरक्षा कोष बनाया जाएगा। साथ ही, एक राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो इन श्रमिकों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाने और उन पर नजर रखने का काम करेगा। सभी असंगठित, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को एक राष्ट्रीय पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जिसके बाद उन्हें एक यूनिक आईडी नंबर (UID) मिलेगी। यह आईडी पूरे देश में मान्य होगी।
कामकाजी महिलाओं के लिए बड़ी राहत
इस संहिता में कामकाजी महिलाओं के लिए कई अहम सुधार किए गए हैं।
मातृत्व लाभ: प्रसव से पहले के 12 महीनों में कम से कम 80 दिन काम कर चुकी महिला कर्मचारी, मातृत्व अवकाश के दौरान अपनी औसत दैनिक मजदूरी के बराबर भुगतान पाने की हकदार होगी।
मातृत्व अवकाश: मातृत्व अवकाश की अधिकतम अवधि 26 सप्ताह (लगभग 6 महीने) ही रहेगी, जिसमें से प्रसव से पहले अधिकतम 2 महीने की छुट्टी ली जा सकती है।
गोद लेने वाली और सरोगेसी माताओं के लिए छुट्टी: जो महिला 3 महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेती है या सरोगेसी के जरिए मां बनती है, उसे भी बच्चा मिलने की तारीख से 3 महीने का मातृत्व अवकाश मिलेगा।
मेडिकल सर्टिफिकेट में आसानी: अब गर्भावस्था या प्रसव से जुड़ी मेडिकल प्रमाण-पत्र जारी करने का अधिकार सिर्फ डॉक्टरों तक सीमित नहीं है। रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर, आशा वर्कर, सहायक नर्स या दाई भी यह सर्टिफिकेट जारी कर सकेंगी।
मेडिकल बोनस: अगर कंपनी महिला कर्मचारी को प्रसव से पहले और बाद में मुफ्त चिकित्सा सुविधा नहीं देती, तो उसे 3,500 रुपये का मेडिकल बोनस देना होगा।
नर्सिंग ब्रेक: डिलीवरी के बाद काम पर लौटने वाली महिला को अपने बच्चे के 15 महीने का होने तक रोजाना दो बार दूध पिलाने के लिए ब्रेक दिया जाएगा।
इसे भी पढ़ें: 2025 ने ली कई चहेते सितारों की जान, जानिए किन हस्तियों ने कहा दुनिया को अलविदा
वर्क फ्रॉम होम का विकल्प: मातृत्व अवकाश के बाद, अगर काम की प्रकृति अनुमति देती है, तो महिला कर्मचारी को नियोक्ता के साथ सहमति से वर्क फ्रॉम होम का विकल्प दिया जा सकेगा।
क्रेच सुविधा और भत्ता: 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को क्रेच (शिशु गृह) की सुविधा देनी होगी। महिला कर्मचारी को दिन में चार बार क्रेच जाने की अनुमति देनी होगी। अगर क्रेच सुविधा नहीं है, तो महिला को प्रति बच्चे 500 रुपये प्रति माह का क्रेच भत्ता देना होगा (अधिकतम दो बच्चों के लिए)।
इसे भी पढ़ें: स्वतंत्र भारत में पहली बार पीएम मोदी ने की स्त्रियों की चिंता