नई दिल्ली। प्रख्यात मीडिया शिक्षक और जनसंचार विशेषज्ञ प्रो. दविंदर कौर उप्पल (75 वर्ष) का बीती रात भोपाल में निधन हो गया। वे कुछ समय से कोरोना से पीड़ित थीं और रेडक्रास अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। प्रो. उप्पल के निधन पर भारतीय जनसंचार संस्थान(आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय और सागर विश्वविद्यालय में अध्यापन करते हुए प्रो. उप्पल ने संचारविदों, पत्रकारों की पूरी पीढ़ी को तैयार किया।
उन्होंने कहा कि माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में जनसंचार विभाग की अध्यक्ष रहीं प्रो. दविंदर कौर उप्पल का जाना एक ऐसा शून्य रच रहा है, जिसे भर पाना कठिन है। वे एक बेमिसाल अध्यापक थीं। प्रो. उप्पल ने पढ़ने- पढ़ाने, फिल्में देखने, संवाद करने और सामाजिक सरोकारों के लिए सजग रहते हुए अपनी पूरी जिंदगी बिताई। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि जनसंचार शिक्षा, शोध और विकास संचार के क्षेत्र में उनका नाम बहुत बड़ा है। वे शोध में खास रूचि रखती थीं और विद्यार्थियों को प्रेरित करती थीं। अनेक विद्यार्थियों में उन्होंने वह आग जगाई, जिसे लेकर वे जीवन युद्ध में सफल हो सके। विकास के मुद्दों पर उनकी गहरी रूचि थी, ताकि सामान्य जनों की जिंदगी में उजाला लाया जा सके। विकास और जिंदगी से जुड़े मुद्दों पर उन्होंने अनेक रेडियो कार्यक्रम बनाए।
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इसरो के साथ झाबुआ प्रोजेक्ट में काम किया। उनके रेडियो रूपक ‘एक कंठ विषपायी’ को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। आईआईएमसी महानिदेशक के अनुसार वे स्त्रियों के अधिकारों और उनके सम्मान को लेकर बहुत सजग थीं। महिलाओं को अधिकार दिलाने के मुद्दों पर काम करना उनको भाता था। वे बहुत खुश होतीं जब ग्रामीण और सामान्य घरों से आने वाली छात्राएं कुछ बेहतर करतीं। उनका वे विशेष ध्यान और संरक्षण भी करती थीं।
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