देवेन्द्र सिकरवार
लेनिन ने ‘चेका’ का गठन किया और भूमि व संसाधनों पर कब्जा जमाये बैठे कुलीन वर्ग और उनके पैसों पर पलते समर्थक बुद्धिजीवियों को ढूंढ-ढूँढ़ कर साफ किया। माओ त्से तुंग ने ‘सांस्कृतिक क्रांति’ का उद्घोष कर लगभग एक करोड़ विरोधियों का सफाया कर दिया। अगर कम्यूनिज्म के नाम पर यदि आप इस विचार को खारिज करते हैं तो अन्य उदाहरण भी हैं।
फ्रांस की महानता का रास्ता राज्यक्रांति में बहे रक्त और आधुनिक लोकतंत्र के सबसे बड़े उदाहरण ब्रिटेन की महानता क्रॉमवेल के काल में खूनी क्रांति और फिर गौरवशाली क्रांति में लाशों के ढेर पर स्थापित हुई। अगर आप भारत में देखेंगे तो भारत के सबसे विशाल साम्राज्य के रूप में भारत की महानता का उदय विष्णुगुप्त कौटिल्य द्वारा कराये गये निष्ठुर हत्याकांडों से हुई, जिसमें उन्होंने पुरु, पर्वतक जैसे मित्रों के वध में भी संकोच नहीं किया। क्योंकि वह जानते थे कि क्रांति में सफलता के बाद यह ‘हलके तत्व’ सत्ता पर कब्ज़ा करने का प्रयास करेंगे और सारी क्रांति विफल हो जायेगी।
कृष्ण जानते थे कि पांडवों और उनके स्वयं के जाने के बाद महाभारत में धर्म की पुकार से मुँह चुराये यदुगण सारे भारत की सत्ता पर कब्जा कर सारी मेहनत पर पानी फेर देंगे। इसलिए उन्होंने बिना किसी मोह के लगभग सारे यदुवंशियों का निर्मम सफाया करवा दिया। अंग्रेजों के काल में दुर्भाग्य से भारत का सबसे ओजस्वी रक्त जैसे आजाद, भगत सिंह आदि वीरगति व बलिदान को प्राप्त हुए, नेताजी ने स्वयं को ओझल कर लिया और सावरकर को किनारे कर दिया।
भारत में हुए दंगों में रा स्व संघ के श्रेष्ठतम वीर तत्व बलिदान को प्राप्त हुए व गोपाल पाठा जैसे वीरों को बदनाम कर दिया गया। शेष बचे गांधी, नेहरू और उनकी कायर मंडली जिन्होंने वही किया जो कायर करते हैं। उन्होंने भारत की वीर परम्परा को इतिहास के माध्यम से लांक्षित कर कायरों को बढ़ावा दिया जो आज सेक्युलर/लिबरल हिंदुओं के रूप में फल फूल रही है। अगर भारत में गृह युद्ध होता है, जो होगा ही और जब हिंदुओं को विजय मिल जाये तब यदि हिंदुओं ने इस कायर वर्ग का सफाया न किया गया तो सारी विजय निरर्थक हो जायेगी।
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गृहयुद्ध के पश्चात आज के इन सारे सेक्युलर/लिबरल हिंदुओं, कटेश्वरानंदों, नासाचार्यों जैसे जन्मनाजातिगतश्रेष्ठता वादियों व उनके समर्थकों, पेरियारवादियों व जन्मनाहीनतावादियों को ढूंढ़-ढूढ़ कर उनके बोझ से इस धरती को मुक्त करना होगा अन्यथा विजय के बाद हिन्दू शासन तंत्र उसी तरह इन कीड़ो के हाथ में चला जायेगा। जैसे 1947 के बाद सत्ता नेहरू व उसकी मंडली के हाथों में चली गई थी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
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