मैंने चार महीनें का समय लगाया और पूरे देश की राजनीतिक स्थिति तथा जनता के मन-मिजाज का अध्ययन किया। मेरी कसौटी पर देशभक्ति थी और जिहाद था तथा आत्म जनता की निजी व स्थानीय आंकाक्षाएं भी थीं। नये वोटिंग समूह की सोच भी थी। कहीं न कहीं विरोध की भावनाएं निहित थी। विरोध की भावनाएं शीर्ष स्तर पर बैठे मोदी के प्रति कम जरूर थी और पार्टी और अन्य नेताओं के प्रति विरोध की भावनाएं जरूर मिली हैं। मेरा नरेन्द्र मोदी चुनाव सर्वेक्षण रिपोर्ट सटीक रही है। मैंने 2014 के पहले रिपोर्ट दिया था कि नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने वाले हैं और उन्हें पूर्ण बहुमत मिलने वाला है।
प्रमाण के तौर पर मेरी पुस्तक है। मैंने नरेन्द्र मोदी पर एक पुस्तक लिखी थी जो 2013 में आयी थी। पुस्तक का नाम है नरेन्द्र मोदी 21वीं सदी का नायक। मैंने इस पुस्तक में एक सिद्धांत दिया था, कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। 2019 में भी मैंने मोदी के फिर से आने की रिपोर्ट दी थी। चौकीदार चोर के नारे से कांग्रेस साफ हुई थी और राहुल गांधी की दुर्गति हुई थी। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा की पराजय की मेरी बात सच हुई थी। मैंने यही बात हिमाचल और कर्नाटक विधान सभा चुनावों में भाजपा की हार पर कही थी। इन सभी सटीक विश्लेषणों पर मेरे आर्टिकल भी अखबारों मे प्रकाशित हुए थे।
इसे भी पढ़ें: मुस्लिम समर्थक राजनीति मायावती को कब्र से बाहर नहीं निकलने देगी
आम जनता अभी भी नरेन्द्र मोदी के प्रति उतनी नाराजगी नहीं रखती है, जितनी नाराजगी भाजपा की सरकारों के प्रति है। नरेन्द्र मोदी अपनी पार्टी और अपने नेताओं को जनाकांक्षी बनाने में सफल नहीं हुए हैं। उत्तर प्रदेश में योगी और असम में हिमंत व्श्वि शर्मा का प्रदर्शन तो ठीक-ठाक है पर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, में भाजपा की राज्य सरकारों का प्रदर्शन औसत से भी नीचे है। यह तथ्य भी है कि योगी और हिमंता के राज्य में भी नौकरशाह जनता के लिए यमराज के सामान हैं। मोदी के लिए परेशानी हिन्दू एक्टिविस्ट हैं। मोदी की हवा हिन्दू एक्टिविस्ट बनाते थे। अभी भी दस प्रतिशत वोट ऐसे होते हैं जो हवा के साथ चलते हैं। जिसकी हवा तेज बहती है उसी को इस मानसिकता के वोट पडते हैं। हिन्दू एक्टिविस्ट मोदी और भाजपा के शासनकाल में सर्वाधिक प्रताडित हैं, जेल गये हैं और मारे गये हैं, हिन्दू एक्टिविस्टों को मदद करने में भाजपा की सरकारें और हिन्दू संगठनों को खुजली होती है। हिन्दू एक्टिविस्ट अब कहते हैं कि आने दो कांग्रेस को, हम लड़ लेंगे, भाजपा के शासन में तो हम बिना लड़े मारे जा रहे हैं, जेल जा रहे हैं।
इसे भी पढ़ें: स्वाधीन भारत के सत्ता सिंहासन को मिला सनातन प्रतीक
मोदी की केन्द्रीय सत्ता में आने के बाद फर्जी और रंग-विरंगी, गिरगिट छाप हिन्दू समर्थकों की भीड़ बढ़ी है, सत्ता सुख भोगने के लिए नये-नये विचारक, पत्रकार, बुद्धिजीवी आदि पैदा हो गए, जिन्हें कभी हिन्दुत्व से खुजली होती थी। विष कन्याएं तो भाजपा के रीढविहीन और एयरकंडिशनर टाइट के नेताओं को प्रिय रही ही हैं। सिर्फ कांग्रेस और मुस्लिम-ईसाई परस्त नेताओं की मूर्खताओं पर नरेन्द्र मोदी कोई करिश्मा कर सकते हैं। सर्वे की विस्तृत जानकारी और रिपोर्ट अभी गोपनीय है। व्यक्तिगत तौर पर यह उपलब्ध कराया जा सकता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)
इसे भी पढ़ें: सुराज संकल्प का ‘अमृतकाल’