Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) शनिवार को है। इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करने का विधान है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, देवी सती का पार्वती के रूप में पुनर्जन्म हुआ था। मां पार्वती ने आरम्भ में अपने सौंदर्य से भगवान शिव (Lord Shiva) को रिझाना चाहा लेकिन वे सफल नहीं हो सकीं। इसके बाद त्रियुगी नारायण से पांच किलोमीटर दूर गौरीकुंड में कठिन ध्यान और साधना से उन्होंने शिवजी का मन जीत लिया।
इसी दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और आदिशक्ति मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। भगवान शिव का तांडव और माता भगवती के लास्यनृत्य के समन्वय से ही सृष्टि में संतुलन बना हुआ है। शिवजी को प्रसन्न करने और व्रत रखने कई महत्वपूर्ण नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। इन नियमों का पालन करने से महाशिवरात्रि व्रत का पूरा फल मिलता है और भगवान शिव की कृपा भी बनी रहती है।
महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) व्रत की महिमा
महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) व्रत परम मंगलमय और दिव्यतापूर्ण है, यह व्रत चारों पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है। इस दिन जो प्राणी परमसिद्धिदायक भगवान शिव का व्रत, अभिषेक और पूजन करते हैं वह परम भाग्यशाली होता है। भगवान श्री राम ने स्वयं कहा है कि-‘ शिव द्रोही मम दास कहावा! सो नर मोहि सपनेहुँ नहिं भावा!!’ अर्थात जो शिव का द्रोह करके मुझे प्राप्त करना चाहता है वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता। यही वजह है कि इस दिन शिव आराधना के साथ ही श्री रामचरितमानस के पाठ का भी बहुत महत्त्व होता है। एक अन्य कथा के अनुसार माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से पूछा कि कौन सा व्रत उनको सर्वोत्तम भक्ति व पुण्य प्रदान कर सकता है, तब भोलेशंकर ने स्वयं इस दिन का महत्व बताया था कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी की रात्रि को जो उपवास करता है, वह मुझे प्रसन्न कर लेता है। भगवान शिव को जलाभिषेक, वस्त्र, धूप,अर्घ्य तथा पुष्प आदि से उतना प्रसन्न नहीं किया जा सकता, जितना कि व्रत-उपवास से।
जानिए व्रत रखने और महादेव का पूजन करने की विधि
भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए श्रद्धालु प्रातः स्नानादि करके शिव मंदिर जाएं। पूजा में चन्दन, मोली, पान, सुपारी,अक्षत, पंचामृत ,बिल्वपत्र, धतूरा, फल-फूल, नारियल इत्यादि शिवजी को अर्पित करें। भगवान शिव को अत्यंत प्रिय बेल को धोकर चिकने भाग की ओर से चंदन लगाकर चढ़ाएं। ‘ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र का उच्चारण जितनी बार हो सके करें एवं शिवमूर्ति और भगवान शिव की लीलाओं का चिंतन करें। रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। अभिषेक के जल में पहले प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घी और चौथे में शहद को शामिल करना चाहिए। दिन में केवल फलाहार करें, रात्रि में उपवास करें। हालांकि रोगी, अशक्त और वृद्धजन रात्रि में भी फलहार कर सकते है। इस दिन शिव की पूजा करने से जीव को अभीष्ट फल की प्राप्ति अवश्य होती है।
महादेव की पूजा के शुभ मुहूर्त
भागवत कथा प्रवक्ता व ज्योतिषी आचार्य राजेन्द्र तिवारी के अनुसार महाशिवरात्रि की पहले प्रहर की पूजा 18 फरवरी, 2023 को सायंकाल 06:13 से रात्रि 09:24 बजे तक होगी। इस दौरान भगवान शिव की पूजा में साधक को महादेव के ईशान स्वरूप की पूजा गाय के दूध से अभिषेक करके करनी चाहिए।
महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) पर दूसरे प्रहर की पूजा समय
महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) की दूसरे प्रहर की पूजा रात्रि 09:24 से 19 फरवरी, 2023 को पूर्वाह्न 12:35 तक की जा सकेगी। इस दौरान शिव साधक को भगवान शंकर के अघोर स्वरूप की पूजा दही से करना चाहिए।
महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) पर तीसरे प्रहर की पूजा समय
महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) की तृतीय प्रहर की पूजा 19 फरवरी, 2023 को पूर्वाह्न 12:35 से 03:46 बजे तक होगी। इस दौरान शिव भक्तों को महादेव के वामदेव स्वरूप की पूजा घी से करनी चाहिए।
महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) पर चौथे प्रहर की पूजा समय
महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) की चतुर्थ प्रहर की पूजा 19 फरवरी को पूर्वाह्न 03:46 से लेकर प्रात:काल 06:56 बजे तक होगी। ऐसे में महादेव के भक्तों को भगवान शिव के सद्योजात स्वरूप की पूजा शहद से करनी चाहिए।
महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) पर चार प्रहर की पूजा के लाभ
आचार्य राजेन्द्र कहते हैं, सनातन परंपरा में शिव को कल्याण का देवता माना गया है। जिनकी पूजा सबसे सरल और शीघ्र ही फलदायी होती है। मान्यता है कि यदि कोई भक्त महाशिवरात्रि पर पूरे विधि-विधान से चार प्रहर की पूजा करता है, तो शिव कृपा से उसके जीवन के सभी पाप दूर हो जातें और उसे सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। चार प्रहर की पूजा से शिव के भक्त का भाग्य सूर्य के समान चमकने लगता है।
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महाशिवरात्रि का पावन पर्व 18 फरवरी को है। इस बार महाशिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष व्रत भी है। यह दिन शिव आशीर्वाद पाने का उत्तम अवसर है। महाशिवरात्रि के अवसर पर लोग सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही शिव जी की पूजा प्रारंभ कर देते हैं। महाशिवरात्रि पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05:15 बजे से शुरू है। काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं महाशिवरात्रि के पूरे दिन के शुभ मुहूर्त और अशुभ समय के बारे में। आप शुभ समय में शिव आराधना करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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