Choti Diwali Naraka Chaturdashi: अगले साल 2025 में छोटी दिवाली का खास त्योहार 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इसे हम अक्सर नरक चतुर्दशी के नाम से भी जानते हैं। चलिए, आज हम आपको बताते हैं कि आखिर इस दिन को ‘नरक चतुर्दशी’ क्यों कहा जाता है और इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है।
क्या है नरक चतुर्दशी की कहानी
पुराने समय की बात है, जब नरकासुर नामक एक बहुत शक्तिशाली असुर ने अपना आतंक फैला रखा था। उसने न सिर्फ देवताओं और मनुष्यों को परेशान किया, बल्कि 16,000 कन्याओं और कई ऋषि-मुनियों को भी बंदी बना लिया था। उसके अत्याचारों से सबका जीवन दूभर हो गया था।
जब देवता इस आतंक से तंग आ गए, तो वे भगवान कृष्ण के पास मदद मांगने पहुंचे। भगवान कृष्ण ने उनकी फरियाद सुनी और अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर से युद्ध करने का फैसला किया। अब सवाल यह उठता है कि भगवान कृष्ण सत्यभामा को साथ क्यों ले गए? दरअसल, नरकासुर को एक वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु किसी स्त्री के हाथों ही होगी। सत्यभामा दरअसल भूदेवी का स्वरूप थीं और उनमें अद्भुत शक्तियां थीं। इसीलिए भगवान कृष्ण ने उनकी मदद से नरकासुर का वध करने का निश्चय किया।
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भगवान कृष्ण और सत्यभामा ने नरकासुर से भीषण युद्ध किया और अंततः उसे पराजित कर दिया। नरकासुर के वध के बाद, श्रीकृष्ण ने सभी 16,000 कन्याओं और ऋषि-मुनियों को उसकी कैद से आज़ाद करवाया। इस खुशी में लोगों ने दीप जलाकर खूब उत्सव मनाया। जिस दिन यह घटना घटी, वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी। इसी वजह से इस दिन को ‘नरक चतुर्दशी’ कहा जाने लगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण और माता सत्यभामा की पूजा करने से विशेष शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यही वह पावन दिन है जिसे हम आज ‘छोटी दिवाली’ के नाम से भी जानते और मनाते हैं।
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