कानपुर: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार यह मान कर चल रही थी कि योगी राज में सब ठीक ठाक चल रहा है। जबकि सच यह है कि इस राज में भी कुछ नहीं बदला है। रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा अपने चरम पर है। लेकिन सरकार जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं की सुनने की जगह अधिकारियों की बात सुनने में लगी हुई है, जिसके चलते उसके नाक के नीचे हो रहे भ्रष्टाचार भी उसे दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि कानपुर में शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में व्यापक स्तर पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। जिलाधिकारी कानपुर ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए सदर तहसील के 19 लेखपालों को निलंबित कर दिया है।
जिलाधिकारी ने वर्तमान और पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी, दोनों विभाग के लेखाकार, दो नायब तहसीलदार और तत्कालीन तहसीलदार व वर्तमान एसीएम द्वितीय के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की है। इसके अलावा आठ कानूनगो पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई सिफारिश की है। बता दें कि जांच रिपोर्ट में सदर तहसील में तैनात रहे 19 लेखपालों को लाभार्थियों को योजना का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से अपात्र आवेदनों पर रिपोर्ट लगाने का दोषी पाया गया है। जिलाधिकारी ने लेखपालों को निलंबित कर एसडीएम सदर को उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए निर्देश दिया है।
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इसके अलावा ठीक से पर्यवेक्षण नहीं करने और लापरवाही पर वर्तमान पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी लालमणि मौर्य, पूर्व अजीत प्रताप सिंह, वर्तमान अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वर्षा अग्रवाल, पूर्व प्रियंका अवस्थी, लेखाकार संजय पांडेय और नीरज मेहरोत्रा पर विभागीय कार्रवाई के करने के लिए अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। वहीं नायब तहसीलदार विराग करवरिया और अरसला नाज (वर्तमान में हरदोई की नायब तहसीलदार) को अपात्रों की संस्तुति जिला स्तरीय समिति को भेजने का दोषी ठहराया गया है।
इसी क्रम में तत्कालीन तहसीलदार व एसीएम द्वितीय अमित कुमार गुप्ता के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए अपर मुख्य सचिव नियुक्ति और अध्यक्ष बोर्ड आफ रेवन्यू को पत्र लिखा गया है। इस संदर्भ में डीएम आलोक तिवारी ने बताया कि लेखपालों को निलंबित करने का आदेश दे दिया गया है। बता दें कि जिन लोगों को लापरवाही का दोषी पाया गया है, वहीं यह लोग हैं जो फर्जीवाड़े की कड़ी का काम करते हैं। जानकारों की माने तो नीचे से लेकर ऊपर तक इसी कड़ी के आधार पर सबका कमीशन तय है।
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