देवेंद्र शर्मा

बस्ती: समय जब करवट बदलता है तो अच्छे अच्छों को उसकी जगह बता देता है। बस्ती जनपद में 14 में से 12 सीटों पर ब्लॉक प्रमुख के दावेदारों का पर्चा खरिज हो गया यानी इन सीटों पर निर्विरोध ब्लॉक प्रमुख चुने गए हैं। चुनाव में हार-जीत तो लगा रहता है, लेकिन ब्लॉक प्रमुख की इन सीटों में कुछ ऐसी भी सीटें हैं, जहां सरकार चाहे जिसकी रही हो। सीट भी चाहे जो रही हो, पर ब्लॉक प्रमुख के पद पर केवल एक ही चेहरा काबिज होता रहा है। इनमें से सबसे ऊपर विकास खंड गौर का नाम आता है। महेश सिंह कलहंस वो नाम हैं, जिनको लगता था कि यहां से कोई और ब्लॉक प्रमुख बन ही नहीं सकता। चुनाव से पहले जीते हुए बीडीसी ऐसे गायब होते थे जैसे गधे के सिर से सींग। फिलहाल उम्र के आखिरी पड़ाव में उनका यह भ्रम इसबार के चुनाव में टूट गया और बीजेपी समर्थित प्रत्याशी छितहा निवासी जटा शंकर शुक्ल की पत्नी कांति शुक्ल निर्विरोध ब्लॉक अध्यक्ष चुन लीं गई हैं।

Jatashankar Shukla

कांति शुक्ला की जीत पर महेश सिंह के लिए सूर्यभानु गुप्त की यह पंक्ति- ‘रंज इस का नहीं कि हम टूटे, ये तो अच्छा हुआ भरम टूटे’ एकदम सटीक बैठती है। गौर ब्लॉक पर लंबे अरसे से महेश सिंह का एक क्षत्र राज रहा है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि महेश सिंह के खिलाफ जाकर यहां कोई काम करा पाना संभव ही नहीं था। ऐसा इसलिए नहीं कि वह इतने शरीफ है कि जनता उन्हें सिर आंखों पर बैठाए हुए है। हां इतना जरूर था कि उनके खिलाफ जाने वाले के साथ क्या हो सकता था इसका अंदाजा किसी को नहीं रहता।

Jatashankar Shukla

शायद यही वजह है कि उनके खिलाफ लड़ने की कोई हिमाकत नहीं करता था। महेश सिंह द्वारा कराए गए गए विकास कार्यों की बात की जाए तो क्षेत्र का विकास दूर की बात है खुद उनके घर के सामने की सड़क भी चलने लायक नहीं है। जनता काफी समय से परिवर्तन चाह रही थी। लेकिन यह परिवर्तन की आंधी आराजकता की आंधी के सामने घुम हो जाती थी।

इसे भी पढ़ें: एक्शन में योगी सरकार, 19 लेखपाल सस्पेंड

वर्ष 2014 के बाद से राजनीति में चमत्कार होता आ रहा है। जातीय समीकरण जहां काफी हद तक खत्म हुए हैं, वहीं अब दबंगई व गुंडाराज भी समाप्ति की ओर है। गौर ब्लॉक प्रमुख के पद पर चुनाव लड़ने की कीमत बीजेपी नेता जटाशंकर शुक्ल की पत्नी कांति शुक्ल को नामांकन के एक दिन पहले चुकानी भी पड़ी। आरोप है कि वह दुबौला बैंक से पैसा निकालकर टिनिच मार्ग से गौर की तरफ वह आ रही थीं, कि रास्ते में महेश सिंह अपने गुर्गों के साथ पहुंच गए और असलहा लगाकर गाड़ी में रखे तीन लाख रुपए लूट लिए। साथ ही उन्होंने चुनाव लड़ने की भारी कीमत चुकाने की धमकी भी दी। इस संदर्भ में जटाशंकर शुक्ल ने गौर थाने में महेश सिंह के खिलाफ लिखित तहरीर भी दी है।

बीजेपी से मांग रहे थे टिकट: दीपक सोनी

Jatashankar Shukla

गौरतलब है कि सफल नेता और व्यापारी जिसकी सरकार होती है, उसकी झंडी अपनी गाड़ी पर जरूर लगा लेता है। महेश सिंह भी बीजेपी का झंडा अपनी गाड़ी में लगा के चलते हैं। हालांकि बीजेपी ने ब्लॉक प्रमुखी के लिए जटाशंकर शुक्ल की पत्नी को समर्थित उम्मीदवार घोषित किया था। जिला कार्यसमिति सदस्य युवा मोर्चा दीपक सोनी की मानें तो महेश सिंह और उनके बेटे अरविंद सिंह ने बीजेपी से टिकट पाने की पूरी कोशिश की थी। लेकिन पार्टी ने उनके आपराधिक इतिहास को देखते हुए उनकी जगह स्वच्छ छवि के पार्टी नेता जटाशंकर शुक्ल में विश्वास जताया।

बीजेपी नेता दीपक सोनी का कहना है कि क्षेत्र की जनता काफी दिनों से परिवर्तन चाह रही थी। सांसद हरीश द्विवेदी और विधायक सीए चंद्र प्रकाश शुक्ल की कुशल रणनीति से इस बार गौर ब्लॉक प्रमुख पद पर जनता के परिवर्तन का सपना साकार हुआ है। उन्होंने कहा कि यहां चेहरा नहीं बल्कि इतिहास बदला है। वहीं निर्विरोध चुने जाने पर जटाशंकर शुक्ल ने सभी का आभार व्यक्त किया है।

इसे भी पढ़ें: जानिए किसे मिला काम का इनाम

Spread the news