Newschuski Digital Desk: 24 नवंबर को भारत को अपना नया मुख्य न्यायाधीश मिल गया है। जस्टिस सूर्यकांत को राष्ट्रपति ने देश का 53वां CJI नियुक्त किया है और वे पूर्व CJI जस्टिस बी. आर. गवई का स्थान ले रहे हैं। हालांकि उनका कार्यकाल सिर्फ 14 महीने का है, लेकिन इस छोटी सी अवधि में भी उनके सामने देश के कई ऐसे गंभीर संवैधानिक और विवादित मामले आने वाले हैं, जो भारतीय न्यायपालिका का भविष्य तय कर सकते हैं।
पहचान बनाई है एक मजबूत जज के तौर पर
सुप्रीम कोर्ट में जज रहते हुए जस्टिस सूर्यकांत कई अहम संवैधानिक मामलों की बेंच का हिस्सा रहे हैं। आर्टिकल 370 को बरकरार रखने वाले ऐतिहासिक फैसले से लेकर पेगासस जासूसी मामले तक, उन्होंने हमेशा स्पष्टता और सिद्धांतों के साथ फैसले दिए हैं। पेगासस मामले में उनकी बेंच ने ही साफ कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सरकार को असीमित अधिकार नहीं दिए जा सकते। बिहार SIR मामले में उन्होंने पारदर्शिता दिखाते हुए वोटर लिस्ट से हटाए गए नामों को सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।
अब इन बड़ी चुनौतियों का करेंगे सामना
SIR और वक्फ एक्ट: देश में इस वक्त SIR प्रक्रिया को लेकर काफी उबाल है। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है और नए CJI के सामने यह पहली बड़ी चुनौती होगी। वहीं, वक्फ एक्ट से जुड़ा मामला भी सामाजिक और धार्मिक बहसों की दिशा तय करेगा।
दिल्ली-NCR प्रदूषण और तलाक-ए-हसन: दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण एक बड़ा संकट बना हुआ है और अब इस मामले पर सुनवाई की कमान जस्टिस सूर्यकांत के हाथों में होगी। वहीं, तलाक-ए-हसन यानी तीन तलाक की प्रथा पर होने वाली सुनवाई भी एक बड़ा संवैधानिक सवाल है, जिसका फैसला लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करेगा।
अतीत के फैसले बताते हैं मजबूत इरादों वाले जज
जस्टिस सूर्यकांत ने आर्टिकल 370, बिहार SIR, धारा 144 की सीमाएं तय करने और दिल्ली शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल की जमानत जैसे अहम मामलों में अपनी कानूनी समझ और संतुलित दृष्टिकोण का परिचय दिया है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे जैसे मामलों में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
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नया दौर, नई जिम्मेदारी
जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल भले ही छोटा है, लेकिन इन 14 महीनों में लिए जाने वाले फैसले दशकों तक याद रखे जाएंगे। पेगासस से लेकर प्रदूषण, SIR से लेकर तलाक-ए-हसन तक, हर निर्णय देश के राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक ढांचे पर अपनी छाप छोड़ेगा। पूरा देश अपने नए CJI पर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है। यह अगले 14 महीने भारतीय लोकतंत्र के लिए वाकई बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाले हैं।
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